सुप्रीम कोर्ट बुधवार को मणिपुर उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ कांग्रेस के तीन पूर्व विधायकों की याचिकाओं पर विचार करने के लिए सहमत हो गया, जिसमें विधानसभा अध्यक्ष द्वारा उनकी अयोग्यता को बरकरार रखा गया था।
शीर्ष अदालत में तीन अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई थीं, जो कि मार्च 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चुने गए क्षेत्रिमयम बीरेन सिंह, येंगखोम सुरचंद्र सिंह और सनसाम बीरा सिंह द्वारा दायर की गई थीं।
जस्टिस यू.यू. ललित और अजय रस्तोगी ने विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय में याचिकाओं पर नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने की मांग की।
स्पीकर ने विधायकों को पिछले साल 18 जून को उन याचिकाओं के बाद अयोग्य घोषित कर दिया था, जिनमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने स्वेच्छा से कांग्रेस की सदस्यता छोड़ दी थी और भाजपा को अपना समर्थन दिया था। हाईकोर्ट ने इस साल 2 जून को फैसले को बरकरार रखा था।
अयोग्य ठहराए गए विधायकों ने फैसले को चुनौती देते हुए दावा किया कि अध्यक्ष के पास यह तय करने के लिए पर्याप्त सामग्री है कि उन्होंने स्वेच्छा से कांग्रेस की सदस्यता छोड़ दी है।
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए तर्क दिया कि अयोग्यता कार्यवाही में प्रक्रियात्मक और साथ ही पर्याप्त खामियां थीं।
उन्होंने तर्क दिया कि मीडिया रिपोर्टो का इस्तेमाल याचिकाकर्ताओं के खिलाफ मामला बनाने के लिए किया गया है और यह भी तस्वीरें हैं कि इन विधायकों को भाजपा नेताओं के साथ देखा गया था। रोहतगी ने कहा कि उनके मुवक्किलों ने इन आरोपों का पूरी तरह से खंडन किया है।
मामले में दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि वह याचिकाओं पर नोटिस जारी कर रही है और वह मामले की सुनवाई 29 सितंबर को करेगी।
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Source : IANS