विधायक विधानसभा में रिवॉल्वर खाली करता है तो क्या सदन सर्वोच्च है : सुप्रीम कोर्ट (लीड-1)

विधायक विधानसभा में रिवॉल्वर खाली करता है तो क्या सदन सर्वोच्च है : सुप्रीम कोर्ट (लीड-1)

विधायक विधानसभा में रिवॉल्वर खाली करता है तो क्या सदन सर्वोच्च है : सुप्रीम कोर्ट (लीड-1)

author-image
IANS
New Update
Supreme Court

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आश्चर्य जताया कि क्या लोकतंत्र के गर्भगृह को नुकसान पहुंचाना जनहित में है और यह दावा करना सही है कि सदन इस मामले में सर्वोच्च अधिकार है।

Advertisment

शीर्ष अदालत की टिप्पणी केरल सरकार की एक याचिका की सुनवाई के दौरान सामने आई।

केरल सरकार द्वारा 2015 में केरल विधानसभा में हंगामे के लिए प्रमुख माकपा नेताओं के खिलाफ मामलों को वापस लेने की अनुमति मांगने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने मामले में फैसला सुरक्षित रखा है।

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और एम. आर. शाह की पीठ ने केरल सरकार से पूछा, क्या यह जनहित में था या लोक न्याय की सेवा में कि मुकदमों को वापस लेने की मांग की गई, जबकि विधायकों ने लोकतंत्र के गर्भगृह को क्षतिग्रस्त कर दिया था?

दरअसल पिछली सुनवाई में संसद और विधानसभा में सदस्यों द्वारा हंगामा करने और तोड़फोड़ करने की घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई थी। शीर्ष अदालत ने तब कहा था कि ऐसी घटनाओं को माफ नहीं किया जा सकता है।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार से पूछा, मान लीजिए कि एक विधायक विधानसभा में रिवॉल्वर निकालता है और इसे खाली भी कर देता है। तो क्या आप कह सकते हैं कि इस पर सदन सर्वोच्च है?

पीठ ने स्पष्ट किया कि विधानसभा के अंदर हथियार ले जाना संभव नहीं है, लेकिन उसने अदालत के समक्ष इस मुद्दे की सावधानीपूर्वक जांच करने के लिए इस उदाहरण का हवाला दिया।

चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ केरल सरकार द्वारा 2015 में केरल विधानसभा में हंगामे के लिए प्रमुख माकपा नेताओं के खिलाफ मामलों को वापस लेने की अनुमति मांगने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जब राज्य में वर्तमान सत्तारूढ़ दल विपक्ष में था।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि आरोपियों को सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम के तहत मुकदमे का सामना करना चाहिए। इस तरह के व्यवहार को माफ नहीं किया जा सकता है। ये याचिका केरल हाईकोर्ट के मार्च, 2021 के आदेश के खिलाफ दाखिल की गई है, जिसने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत द्वारा मौजूदा मंत्रियों सहित अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा वापस लेने की अनुमति मांगने के आदेश के खिलाफ राज्य की याचिका को खारिज कर दिया था।

चंद्रचूड़ ने इस पर कहा था कि यह स्वीकार्य व्यवहार नहीं है। प्रथम ²ष्टया हमें इस तरह के व्यवहार पर सख्त रुख अपनाना होगा। यह स्वीकार्य व्यवहार नहीं है।

केरल उच्च न्यायालय ने 12 मार्च को पारित एक आदेश में, यह कहते हुए अपनी मंजूरी देने से इनकार कर दिया था कि निर्वाचित प्रतिनिधियों से सदन की प्रतिष्ठा बनाए रखने या परिणाम भुगतने की उम्मीद की जाती है। विधायकों ने स्पीकर के मंच में तोड़फोड़ की थी, उनकी कुर्सी उखाड़ दी थी, माइक सिस्टम, कंप्यूटर आदि को बाहर निकाल डाला था।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

      
Advertisment