सुप्रीम कोर्ट ने असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के फाइनल ड्राफ्ट तैयार करने की समयसीमा 31 अगस्त तक बढ़ा दी है. पहले ये समयसीमा 31 जुलाई तक थी. हालांकि कोर्ट ने NRC ड्राफ्ट में जगह पाए लोगों की भी दोबारा समीक्षा की केंद्र और राज्य सरकार की मांग ठुकरा दी है.
बता दें कि केंद्र और राज्य सरकार ने सीमावर्ती जिलों में 20 प्रतिशत की दोबारा जांच की मांग की थी. सरकार ने आशंका जताई थी कि लाखों अवैध शरणार्थी भी स्थानीय NRC अधिकारियों के साथ मिलकर NRC ड्राफ्ट में जगह पा लिए हैं. 19 जुलाई को इस मामले की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र और असम सरकार से पुनर्सत्यापन की जरूरत पर सवाल किया. महान्यायवादी तुषार मेहता ने केंद्र और असम सरकार का पक्ष रखते हुए कहा, 'हम दुनिया की शरणार्थी राजधानी नहीं बन सकते.' उन्होंने पुनर्सत्यापन के लिए समय सीमा बढ़ाने की मांग की.
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मामले की गंभीरता पर प्रकाश डालते हुए मेहता ने आवेग में तर्क दिया, 'प्रत्यक्ष तौर पर छोटे अधिकारियों के भ्रष्टाचार के कारण सूची में और भी गलत लोगों के नाम शामिल हैं. इसलिए हमें पुनर्सत्यापन की जरूरत है. हमने बांग्लादेश की सीमा से लगने वाले जिलों में इसका एहसास किया है.'
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि एनआरसी राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि लगभग 80 लाख नामों का सत्यापन पहले ही किया जा चुका है.
गोगोई ने मेहता से सवाल किया, 'ऐसी स्थिति में सांकेतिक पुनर्सत्यापन की जरूरत क्यों है? अगर हम संतुष्ट हैं कि सत्यापन उपयुक्त तरीके से किया गया है तो आपको नहीं लगता कि पुनर्सत्यापन की कोई जरूरत नहीं है.'
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इस पर मेहता ने कहा कि पुनर्सत्यापन से प्रशासन को ऐसे अवैध प्रवासियों को निकालने में मदद मिलेगी, जिन्होंने एनआरसी अधिकारियों को रिश्वत देकर सूची में अपना नाम शामिल कराया है.
(इनपुट IANS के साथ)
HIGHLIGHTS
- सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी फाइनल ड्राफ्ट तैयार करने की समयसीमा बढ़ा दी
- 31 जुलाई से समय सीमा बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया गया
- NRC ड्राफ्ट में जगह पाए लोगों की भी दोबारा समीक्षा की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराया