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अयोध्या केस में मुस्लिम पक्षकार को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने इस बड़ी मांग को ठुकराया

अयोध्या केस में मुस्लिम पक्षकार को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने इस बड़ी मांग को ठुकराया

Updated on: 09 Aug 2019, 05:12 PM

highlights

  • अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकारों को झटका
  • सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई मुस्लिम पक्षकारों की मांग
  • अयोध्या मामले में सप्ताह में 5 दिन होगी सुनवाई

नई दिल्ली:

अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में मुस्लिम पक्षकार को सु्प्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका देते हुए उनकी मांगों को ठुकरा दिया. सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकार ने सप्ताह में पांच दिन सुनवाई का विरोध किया था. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के जज ने उनकी मांग को ठुकराते हुए सप्ताह में 5 दिनों तक सुनवाई का फैसला बहाल किया है. बेंच के उठते वक़्त चीफ जस्टिस ने साफ किया कि अयोध्या मामले की सुनवाई पांचों दिन होगी. जब राजीव धवन की जिरह की बारी आएगी तो उन्होंने कहा कि आप चाहेंगे , तो उनके हिसाब से भी देख लिया जाएगा. राजीव धवन ने हफ्ते में  5 दिन सुनवाई के विरोध किया था.

इसके पहले अयोध्या केस की सप्ताह में 5 दिन सुनवाई का मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने विरोध किया है. शुक्रवार को सुनवाई शुरू होते हुए धवन ने कहा कहा- ये अव्यवहारिक है. इससे हमें मुकदमे की तैयारी करने का पर्याप्त समय नहीं मिलेगा. चीफ जस्टिस ने कहा- हम इस पर बाद में बात करेंगे. आमतौर पर संविधान पीठ इस तरह के पुराने और विस्तृत सुनवाई की ज़रूरत वाले मामले को जब सुनती है, तो सप्ताह में सिर्फ तीन दिन (मंगल, बुध और गुरुवार) को सुनवाई होती थी. सप्ताह के बाकी दो दिन सोमवार और शुक्रवार को नए मामलों की सुनवाई के दिन होता है, लेकिन पुरानी परंपरा से हटकर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सोमवार और शुक्रवार को भी सुनने का समय बढ़ा दिया है. ऐसे में उम्मीद बढ़ गई थी कि इस तरीके से लगातार सुनवाई से 17 नवंबर को रिटायर हो रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के कार्यकाल मे ही इस पर फैसला आ जायेगा.

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अयोध्या मामले में आज सुनवाई का चौथा दिन है. एक दिन पहले निर्मोही अखाड़े की ओर से के परासरन ने दलीलें पेश करते हुए कहा- इसमे कोई दो राय नहीं कि विवादित जगह ही जन्मस्थान है. हिन्दू और मुस्लिम दोनों इसे मानते हैं. सुनवाई के दौरान जस्टिस अशोक भूषण ने परासरन से पूछा- क्या जन्मस्थान को भी जीवित व्यक्ति का दर्जा देते हुए मामले में पक्षकार बनाया जा सकता है. हम जानते है कि मूर्ति (देवता) को कानूनन जीवित व्यक्ति का दर्जा हासिल है, लेकिन जन्मस्थान को लेकर क्या कानून है.

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