सामान्य वर्ग को 10 फीसद आरक्षण के फैसले पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इन्कार, केंद्र से जवाब तलब
सामान्य वर्ग के आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों को 10 % आरक्षण दिए जाने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है.
नई दिल्ली:
सामान्य वर्ग के आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों को 10 % आरक्षण दिए जाने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने सरकार के फैसले पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने 3 हफ्ते में सरकार से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में कहा गया है कि आर्थिक तौर पर आरक्षण असंवैधानिक है और ये कोर्ट द्वारा तय 50 फीसदी आरक्षण की अधिकतम सीमा का हनन करता है. इसी याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण पर रोक लगाने से फिलहाल इन्कार कर दिया है. अब मामले की सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी.
यह भी पढ़ें : 10 फीसद आरक्षण का लाभ लेने के लिए क्या आप तैयार हैं, ये दस्तावेज कर लें इकट्ठा
अगड़ी जातियों (सामान्य वर्ग में आने वाले लोगों) को आर्थिक आधार पर नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. याचिका में संविधान (124वें) संशोधन अधिनियम पर रोक लगाने की मांग की गई. दिल्ली के गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) यूथ फॉर इक्वलिटी द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि संशोधन से संविधान की मूल संरचना का अतिक्रमण होता है. याचिकाकर्ता ने 1992 के इंदिरा साहनी मामले का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्थिक मानदंड संविधान के तहत आरक्षण का एकमात्र आधार नहीं हो सकता है.
याचिका के अनुसार, संविधान संशोधन (124वें) पूर्ण रूप से संवैधानिक मानक का उल्लंघन करता है. इंदिरा साहनी मामले में नौ न्यायाधीशों द्वारा कहा गया था कि आर्थिक मानदंड आरक्षण का एकमात्र आधार नहीं हो सकता है. ऐसा संशोधन दोषपूर्ण है और इसे अवैध ठहराया जाना चाहिए, क्योंकि इसमें फैसले का खंडन किया गया है.
यह भी पढ़ें : सामान्य वर्ग को आरक्षण बिल पर राज्यसभा में रामदास अठावले का अनोख्ना अंदाज, सभी को किया लोटपोट
याचिकाकर्ता का तर्क है कि संशोधन से सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंदिरा साहनी मामले में आरक्षण के लिए तय की गई 50 फीसदी की ऊपरी सीमा का अतिक्रमण किया गया है. मौजूदा संशोधन के अनुसार, सामान्य श्रेणी के सिर्फ गरीबों को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा.
याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि जल्दबाजी में संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित संविधान संशोधन लोकलुभावन कदम है, इसलिए इस पर तत्काल रोक लगा दी जाए क्योंकि इससे संविधान की मूल प्रकृति भंग होती है.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
May 2024 Masik Rashifal: आप सभी के लिए मई का महीना कैसा रहेगा? पढ़ें संपूर्ण मासिक राशिफल
-
Parshuram Jayanti 2024: कब है परशुराम जयंती, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा का सही तरीका
-
Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर नहीं ला पा रहे सोना-चांदी तो लाएं ये चीजें, बेहद खुश होंगी मां लक्ष्मी
-
Astro Tips: क्या पुराने कपड़ों का पौछा बनाकर लगाने से दुर्भाग्य आता है?