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सबरीमाला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम नहीं चाहते हिंसा, सुनवाई के लिए गठित हो चुकी है बड़ी बेंच

सबरीमाला मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच करेगी पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई, 2018 का फैसला अंतिम राय नहीं

Updated on: 13 Dec 2019, 01:14 PM

New Delhi:

सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मसले पर 2018 में आए फैसले के खिलाफ दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई बड़ी बेंच करेगी. इस मसले पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबरीमाला में महिलाओं के सुरक्षित प्रवेश का मामला है. इसमे कोई दो राय नहीं कि सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाज़त देने वाला साल 2018 का फैसला अभी लागू है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए कि याचिका दाखिल करने वाली दोनों महिलाओं को सुरक्षा दी जाए. पूरी सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की यह टिप्पणी बेहद संजीदा है कि उन्हें यह कहना पड़ा कि वह इस मसले पर और हिंसा नहीं चाहते.

इस मसले पर सर्वोच्च अदालत ने कहा कि सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की इजाज़त देने वाला साल 2018 का फैसला भी अदालत की कोई अंतिम राय नहीं है. अब मामला बड़ी बेंच को सौंपा जा चुका है. उनके रुख का इंतज़ार करना चाहिए. सबरीमाला मंदिर में यह परंपरा हज़ारों साल पुरानी है. कुछ मुद्दे इस देश में बहुत संजीदा है और ये उनमें से एक है. इसके साथ ही अदालत ने अमीनी और रेहाना फातिमा को पुलिस सुरक्षा देने के निर्देश भी दिए. अदालत ने कहा कि अगली सुनवाई तक महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर प्रकरण में शुक्रवार को कोई आदेश पास करने से इंकार कर दिया. जस्टिस बोबडे ने कहा कि अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर अभी वे कोई आदेश पास नहीं कर रहे हैं. जल्द ही सात जजों की बेंच का गठन होगा. ये बड़ा भावनात्मक मुद्दा है और किसी तरह की हिंसा नहीं चाहता. कोर्ट ने साफ किया कि मंदिर में सुरक्षित एंट्री को लेकर फातिमा और बिंदु की याचिका तब तक लंबित रहेगी जब तक कि 7 जजों की बेंच इस पर फैसला न ले ले.