फ्री बिजली और WiFi बंद करने पर आज सुप्रीम कोर्ट सुना सकता है फैसला

दिल्ली फ्रीबीज के विवादित मुद्दे पर सुप्रीमकोर्ट में आज अहम फैसला आ सकता है. आपको बता दें कि देश में फ्रीबीज या फ्री लोकलुभावन चुनावी फ्री स्कीम्स के मद्देनज़र काफी दिनों से सियासी घमासान मचा हुआ

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Mohit Sharma
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Supreme Court

Supreme Court ( Photo Credit : FILE PIC)

दिल्ली फ्रीबीज के विवादित मुद्दे पर सुप्रीमकोर्ट में आज अहम फैसला आ सकता है. आपको बता दें कि देश में फ्रीबीज या फ्री लोकलुभावन चुनावी फ्री स्कीम्स के मद्देनज़र काफी दिनों से सियासी घमासान मचा हुआ है, एक ओर केंद्र सरकार सभी राज्यों से चुनावों में जनता को फ्री सामान और सुविधाएं बांटने पर रोक लगाने की लगातार अपील कर रहा है. वही दूसरी ओर दिल्ली में काबिज़ केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की  सरकार  आंध्र की YSR कांग्रेस पार्टी और तमिलनाडू की DMK जैसी पार्टियां फ्रीबीज के मुद्दे पर केंद्र सरकार को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दे रही हैं.

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बीजेपी नेता ने  जनवरी 2022 में दायर की थी PIL

आपको बता दें कि जनवरी 2022 में  दिल्ली BJP नेता अश्विनी उपाध्याय ने फ्रीबीज के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. अश्विनी उपाध्याय ने  अपनी याचिका में चुनाव के वक्त पॉलिटिकल पार्टियों की ओर से वोटरों से फ्रीबीज या फ्री गिफ्ट के वादों पर रोक लगाने की अपील की थी। इसमें मांग की गई थी कि चुनाव आयोग को ऐसी पार्टियां की मान्यता रद्द करनी चाहिए। केंद्र सरकार ने भी अश्विनी उपाध्याय से सहमति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट से फ्रीबीज की परिभाषा तय करने की अपील की थी। केंद्र सरकार ने कहा कि अगर फ्रीबीज का बंटना जारी रहा, तो ये देश को 'भविष्य में आर्थिक आपदा' की ओर ले जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट में अब तक क्या-क्या हुआ?

गौरतलब है कि सुप्रीमकोर्ट में फ्रीबीज मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना की अगुआई वाली जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस हिमा कोहली की तीन सदस्यीय बेंच कर रही है। आइये आपको बताते हैं कि इस मामले में अब तक क्या-क्या सुनवाई हुई.

03 अगस्त 2022: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ्रीबीज मुद्दे पर फैसले के लिए एक समिति गठित की जानी चाहिए। इसमें केंद्र, राज्य सरकारें, नीति आयोग, फाइनेंस कमिशन, चुनाव आयोग, RBI, CAG और राजनीतिक पार्टियां शामिल हों।

11 अगस्त 2022: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'गरीबों का पेट भरने की जरूरत है, लेकिन लोगों की भलाई के कामों को संतुलित रखने की जरूरत है, क्योंकि फ्रीबीज की वजह से इकोनॉमी पैसे गंवा रही है। हम इस बात से सहमत हैं कि फ्रीबीज और वेलफेयर के बीच अंतर है।’

17 अगस्त 2022: कोर्ट ने कहा, 'कुछ लोगों का कहना है कि राजनीतिक पार्टियों को वोटर्स से वादे करने से नहीं रोका जा सकता है...अब ये तय करना होगा कि फ्रीबीज क्या है। क्या सबके लिए हेल्थकेयर, पीने के पानी की सुविधा...मनरेगा जैसी योजनाएं, जो जीवन को बेहतर बनाती हैं, क्या उन्हें फ्रीबीज माना जा सकता है?' कोर्ट ने इस मामले के सभी पक्षों से अपनी राय देने को कहा।

23 अगस्त 2022:आज सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई करेगा और कुछ अहम फैसला दे सकता है।

Source : Arun Kumar

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