उच्चतम न्यायालय 20 साल से अलग जोड़े को लाया एक साथ, पति-पत्नी एक साथ रहने को तैयार
समाज में शादियां होना और कुछ शादियों के सफल न होने पर तलाक हो जाना, तो आम बात है. लेकिन बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने प्रयासों से 20 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे एक जोड़े को वापस उसी रिश्ते में बांध दिया.
highlights
- उच्चतम न्यायालय ने 20 साल से अलग जोड़े को एक साथ रहने को किया राजी
- वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चली न्यायालय की कार्यवाही
- पति और बेटे के साथ रहने के लिए तैयार हो गई महिला
नई दिल्ली:
समाज में शादियां होना और कुछ शादियों के सफल न होने पर तलाक हो जाना, तो आम बात है. लेकिन बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने प्रयासों से 20 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे एक जोड़े को वापस उसी रिश्ते में बांध दिया. इस जोड़े के बीच 2001 से दहेज उत्पीड़न के मामले में कानूनी लड़ाई चल रही थी. इस लड़ाई के चलते पति को एक साल के कारावास की सजा पहले मिल चुकी थी, लेकिन याचिकाकर्ता महिला अपने पति की सजा को और बढ़वाना चाहती थी. अपने पति की सजा को बढ़वाने के लिए ही महिला यहां शीर्ष न्यायालय में आई थी. लेकिन इस मामले में रुचि लेते हुए मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने वहां का माहौल ऐसा बना दिया कि पति की सजा को बढ़वाने आई पत्नी, पति के साथ रहने के लिए राजी हो गई. कोर्ट ने पति-पत्नी को दो हफ्ते में इसके संबंध में शपथ-पत्र देने के लिए कहा और दोनों को साथ-साथ भेज दिया.
यह भी पढ़ें : हवाई जहाज के ऊपर लिखे VT साइन को हटाने को लेकर सरकार ने कही ये बड़ी बात
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चली न्यायालय की कार्यवाही
शीर्ष न्यायालय में महिला पति की सजा बढ़वाने के लिए आई थी. क्योंकि आंध्र प्रदेश के इस जोड़े के बीच 20 साल से कानूनी जंग चल रही थी और पति एक साल की सजा भी काट चुका था. बुधवार को महिला की अर्जी पर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई हो रही थी. इस दौरान महिला कोर्ट की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी में अपनी बात कहने में सक्षम नहीं थी, इसलिए वह तेलुगु में अपनी बात कह रही थी. इस पर तेलुगु के जानकार मुख्य न्यायाधीश रमना ने महिला की मांग को समझते हुए उसके बारे में साथी जस्टिस सूर्यकांत को बताया. इसके बाद जस्टिस रमना ने महिला से कहा कि अगर उसका पति लंबे समय के लिए जेल चला गया तो वह अपनी नौकरी खो देगा. इससे उसे (महिला को) हर माह मिलने वाला गुजारा भत्ता भी नहीं मिल पाएगा.
पति और बेटे के साथ रहने के लिए तैयार हो गई महिला
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चल रही कार्यवाही के दौरान महिला ने मुख्य न्यायाधीश की बात को ध्यान से सुना और समझने की कोशिश की. न्यायाधीश की बातें सुनने के बाद महिला अपने इकलौते बेटे और पति के साथ फिर से रहने के लिए तैयार हो गई. इस जोड़े की शादी 1998 में हुई थी. शादी के कुछ ही दिन बाद दोनों के बीच लड़ाई-झगड़े शुरू हो गए. इसी के चलते 2001 में महिला ने पति के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज करा दिया. मामले में पति को एक साल की सजा हुई, जिसे वह मुकदमा दर्ज होने के बाद काट चुका है. लेकिन पति व पत्नी पुरानी बातों को भुलाते हुए साथ रहने के लिए तैयार हो गए. पति गुंटूर जिले में सरकारी सेवा में है.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जयंती पर गलती से भी न करें ये काम, बजरंगबली हो जाएंगे नाराज
-
Vastu Tips For Office Desk: ऑफिस डेस्क पर शीशा रखना शुभ या अशुभ, जानें यहां
-
Aaj Ka Panchang 20 April 2024: क्या है 20 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह