Kota Suicide Case में Supreme Court का बड़ा बयान, छात्रों के अभिभावकों को ठहराया जिम्मेदार

कोटा में लगातार बढ़ रहे छात्रों के खुदकुशी के मामले में कोचिंग संस्थानों को दोषी ठहराने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा बयान दिया है.

कोटा में लगातार बढ़ रहे छात्रों के खुदकुशी के मामले में कोचिंग संस्थानों को दोषी ठहराने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा बयान दिया है.

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Sourabh Dubey
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Kota-Suicide-Case( Photo Credit : social media)

कोटा में लगातार बढ़ रही स्टूडेंट्स की खुदकुशी की घटनाओं पर सुप्रीम कोट का बड़ा बयान आया है. इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कोचिंग संस्थानों को इसका दोषी ठहराने से साफ इनकार किया है, उल्टा बच्चों के माता-पिता को इसका जिम्मेदार ठहराया है. सुप्रीम कोट के हालिया बयान के मुताबिक, कोटा में पढ़ रहे छात्रों के माता-पिता की उनसे ज्यादा उम्मीदें ही, उन्हें अपना जीवन समाप्त करने के लिए प्रेरित कर रही है. इसके साथ ही न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में बड़ा बयान दिया है.

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दरअसल सुप्रीम कोट का ये बयान, हाल ही में दायर निजी कोचिंग संस्थानों के नियमन और उनके न्यूनतम मानकों को निर्धारित करने के लिए कानून बनाने की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए दिया गया है. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि, असल में इस मामले में समस्या कोचिंग संस्थानों की नहीं, बल्कि अभिभावकों की है.  

इसी पीठ का हिस्सा रहे न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी ने भी कोटा सुसाइड मामले में कहा कि, असल में ये मामले कोचिंग संस्थानों की वजह से नहीं, बल्कि इसलिए हो रहे हैं क्योंकि बच्चे अपने माता-पिता की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर पाते.

कोचिंग संस्थानों पर स्टूडेंट्स की खुदकुशी का आरोप

गौरतलब है कि, अदालत मुंबई स्थित डॉक्टर अनिरुद्ध नारायण मालपानी द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बच्चों को "वस्तु" के रूप में इस्तेमाल करके और उन्हें स्वार्थी लाभ के लिए तैयार करके छात्रों को मौत के मुंह में धकेलने के लिए कोचिंग संस्थानों को दोषी ठहराया गया था. इसे लेकर अधिवक्ता मोहिनी प्रिया द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि कोटा में आत्महत्याओं ने सुर्खियां बटोरी हैं, लेकिन यह घटना सभी निजी कोचिंग संस्थानों के लिए आम है और ऐसा कोई कानून या विनियमन नहीं है जो उन्हें जवाबदेह ठहराए.

इसके जवाब में पीठ ने कहा कि, हममें से ज्यादातर लोग अपने बच्चों को कोचिंग संस्थानों में नहीं रखना चाहेंगे, मगर आजकल परीक्षाओं में प्रतिस्पर्धात्मक काफी बढ़ गई है. इसी के साथ ही बच्चों से माता-पिता की उम्मीदें भी काफी बढ़ गई है, जो उनपर बोझ बन गई है. इसके साथ ही न्यायालय ने याचिकाकर्ता को राजस्थान उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का सुझाव भी दिया, क्योंकि याचिका में उद्धृत आत्महत्या की घटनाएं काफी हद तक कोटा से संबंधित हैं.

गौरतलब है कि, राजस्थान सरकार ने हाल ही में निजी कोचिंग संस्थानों के कामकाज को नियंत्रित और विनियमित करने के एक कदम के रूप में राजस्थान कोचिंग संस्थान (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक, 2023 और राजस्थान निजी शैक्षणिक संस्थान नियामक प्राधिकरण विधेयक, 2023 पेश किया था.

Source : News Nation Bureau

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