Advertisment

SC का बीमा कंपनियों को झटका, हर कीमत पर देना होगा मोटर दुर्घटना मुआवजा

इस तर्क को कोर्ट ने खारिज कर दिया कि मृतक नौकरी नहीं कर रहा था और हादसे के समय भविष्य में आय की संभावना/भविष्य की आय में वृद्धि के लिए और कुछ नहीं जोड़ा जाना है.

author-image
Nihar Saxena
New Update
SC

सुप्रीम कोर्ट ने दिया ऐतिहासिक आदेश.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में मोटर दुर्घटना में हताहत के परिजनों को हर हाल में मुआवजे का रास्ता साफ कर दिया है. दो जजों की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि जिसकी मृत्यु के समय कोई आय नहीं थी, उनके कानूनी उत्तराधिकारी भी भविष्य में आय की वृद्धि को जोड़कर भविष्य की संभावनाओं के हकदार होंगे. ज‌स्टिस एमआर शाह और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि इस बात की उम्मीद नहीं है कि मृतक अगर किसी भी सेवा में नहीं था या उसकी नियमित आय रहने की संभावना नहीं है या फिर उसकी आय स्थिर रहेगी या नहीं. बीमा कंपनियों के लिए सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला किसी झटके से कम नहीं है.
  
यह था मामला
प्राप्त जानकारी के मुताबिक 12 सितंबर 2012 को बीई (इंजीनियरिंग) के तीसरे वर्ष में पढ़ रहे 21 वर्ष छात्र की एक मार्ग दुर्घटना में मौत हो गई, वह दावेदार का बेटा था. हाईकोर्ट ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए मुआवजे को 12,85,000 रुपये से घटाकर 6,10,000 रुपये कर दिया है. यही नहीं, ट्रिब्यूनल द्वारा दिए गए 15,000 रुपये प्रति माह की बजाय मृतक की आय का आकलन 5,000 रुपये प्रति माह किया. इसके बाद यह मामला एक अपील के जरिये सुप्रीम कोर्ट में आया. 

एससी का यह तर्क
अपील में कहा गया कि मृतक सिविल इंजीनियरिंग के तीसरे वर्ष में पढ़ रहा था. ऐसे में मृतक की आय कम से कम 10,000 रुपये प्रति माह होनी चाहिए. विशेष रूप से इस बात पर विचार करते हुए कि साल 2012 में न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत भी मजदूरों/कुशल मजदूरों को पांच हजार रुपये प्रति माह मिल रहे थे. यूनियन ऑफ इंडिया द्वारा उठाए गए इस तर्क को कोर्ट ने खारिज कर दिया कि मृतक नौकरी नहीं कर रहा था और हादसे के समय भविष्य में आय की संभावना/भविष्य की आय में वृद्धि के लिए और कुछ नहीं जोड़ा जाना है.

बीमा कंपनी का दावा ठुकराया
बीमा कंपनी ने दावा किया कि मृतक की आय का निर्धारण परिस्थितियों को देखते हुए अनुमान के आधार पर किया जाना है. इस बात पर कोई विवाद नहीं हो सकता कि जीवन यापन की लागत में वृद्धि ऐसे व्यक्ति को भी प्रभावित करेगी. यह भी कहा गया कि मुआवजे के उद्देश्य से भविष्य की संभावनाओं के लाभ का हकदार नहीं हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने यून‌ियन ऑफ इंडिया द्वारा उठाए गए इस तर्क को भी खारिज कर दिया. साथ ही माना कि दावेदार याचिका की तारीख से वसूली की तारीख तक सात प्रतिशत की दर से ब्याज के साथ कुल 15,82,000 रुपये का हकदार होगा.

HIGHLIGHTS

  • बीई इंजीनियरिंग के छात्र की मौत से जुड़ा मामला
  • मोटर ट्रिब्युनल ने कम कर दी मुआवजा की रकम
  • सुप्रीम कोर्ट ने फिर दिया एतिहासिक आदेश
insurance Supreme Court मुआवजा Compensation बीमा कंपनी सुप्रीम कोर्ट
Advertisment
Advertisment
Advertisment