भ्रूण के लिंग जांच से जुड़े विज्ञापनों को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गूगल औऱ याहू समेत अन्य सर्च इंजन को इन हाउस मैकेनिज्म बनाने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा, 'लिंगानुपात कम हो रहा है और इससे मानव जाति की संभावनाओं पर असर पड़ने की संभावना है।' जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार को एक नोडल एजेंसी बनाने का निर्देश दिया ताकि टीवी, रेडिया और समाचार पत्रों में भ्रूण के लिंग जांच से जुड़े विज्ञापन प्रकाशित होने के मामले में कार्रवाई की जा सके।
उन्होंने कहा, 'पीएनडीटी एक्ट 1994 के नियमों के खिलाफ किसी भी सामग्री के प्रसारण की इजाजत नहीं दी जाएगी।'
हालांकि सर्च इंजन ने कोर्ट की इस निर्देश का यह कहते हुए विरोध किया है कि इससे विवादों की झड़ी लग जाएगी। पीएनडीटी एक्ट के तहत भ्रूण की लिंग जांच कराए जाने को लेकर दिए गए विज्ञापनों के मामले में तीन साल जेल का प्रावधान है।
नवंबर में कोर्ट ने गूगल इंडिया, याहू इंडिया, माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन को भ्रूण की लिंग जांच कराए जाने वाले विज्ञापनों को 36 घंटे के भीतर हटाने का आदेश दिया था।
HIGHLIGHTS
- भ्रूण की लिंग जांच से जुड़े विज्ञापनों को ब्लॉक करें सर्च इंजन: SC
- गूगल और याहू जैसी कंपनियों ने कोर्ट के निर्देश को लेकर जताया विरोध
Source : News State Buraeu