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सीबीआई निदेशक एम नागेश्वर राव की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई

एनजीओ का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने एक रिट याचिका में कहा था कि उन्होंने 10 जनवरी की तारीख वाले आदेश को रद्द करने की मांग की है, क्योंकि यह गैरकानूनी, मनमाना, बदनीयती से व दिल्ली पुलिस विशेष प्रतिष्ठान (डीपीएसई) अधिनियम और आलोक वर्मा व विनीत नारायण मामले में शीर्ष अदालत के फैसले का उल्लंघन है.

Updated on: 16 Jan 2019, 03:28 PM

नई दिल्ली:

एम नागेश्वर राव को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अंतरिम निदेशक के रूप में नियुक्ति का विरोध वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अगले हफ़्ते सुनवाई करेगी. गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) कॉमन कॉज ने याचिका में कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की थी. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एन एल राव और न्यायमूर्ति एस के कौल की पीठ के समक्ष बुधवार को इस मामले का तत्काल सुनवाई के लिए उल्लेख किया गया था. याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन 'कॉमन कॉज' और आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पीठ से मामले की सुनवाई शुक्रवार को करने का अनुरोध किया.

न्यायमूर्ति गोगोई ने भूषण से कहा कि इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को करना 'निश्चित ही असंभव' है और सुनवाई अगले सप्ताह की जाएगी. सीबीआई के नए निदेशक की नियुक्ति होने तक सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक राव को 10 जनवरी को अंतरिम प्रमुख का प्रभार सौंपा गया था.

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने आलोक कुमार वर्मा को भ्रष्टाचार और कर्तव्य के प्रति लापरवाही के आरोपों के कारण जांच एजेंसी के प्रमुख के पद से हटा दिया था.

इस समिति में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के प्रतिनिधि के रूप में न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी भी थे.

याचिका में सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये स्पष्ट व्यवस्था बनाने का अनुरोध किया गया है. इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि नागेश्वर राव की नियुक्ति उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की सिफारिश के आधार पर नहीं की गयी है.

याचिका के अनुसार नागेश्वर को अंतरिम निदेशक नियुक्त करने का सरकार का पिछले साल 23 अक्टूबर का आदेश शीर्ष अदालत ने आठ जनवरी को निरस्त कर दिया था लेकिन सरकार ने मनमाने, गैरकानूनी, दुर्भावनापूर्ण तरीके से कदम उठाते हुये और डीएसपीई कानून का 'पूरा उल्लंघन' करते हुए पुन: यह नियुक्ति कर दी.

अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर इस याचिका में दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (डीएसपीई) कानून के तहत लोकपाल और लोकायुक्त कानून, 2013 में किये गये संशोधन में प्रतिपादित प्रक्रिया के अनुसार केन्द्र को जांच ब्यूरो का नियमित निदेशक नियुक्त करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

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याचिका में सरकार को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है कि सीबीआई निदेशक पद के लिये अधिकारियों को सूचीबद्ध करने और निदेशक के चयन के तार्किक आधार एवं बातचीत से संबंधित सारा रिकार्ड सुरक्षित रखा जाये.