कावेरी विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, हिंसा रोकना राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी
सुप्रीम कोर्ट ने अपने नए निर्देश में राज्य सरकार से कहा कि दोनो राज्य में किसी भी तरह के हिंसक प्रदर्शन को रोकने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।
नई दिल्ली:
कावेरी नदी के पानी विवाद पर पूरा दक्षिण भारत सुलग रहा है। जिसको देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज दोनो राज्यों को मामला संभालने का निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने नए निर्देश में राज्य सरकार से कहा कि दोनो राज्य में किसी भी तरह के हिंसक प्रदर्शन को रोकने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दोनो राज्यों के निवासियों से भी शांति बनाये रखने की अपील की है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले हफ्ते के फैसले को संशोधित करते हुए कर्नाटक से तमिलनाडु के लिए कम पानी ज्यादा दिनों तक छोड़ने का आदेश दिया था।
गौरतलब है कि कावेरी जल विवाद पर 20 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई होनी है।
सुप्रीम कोर्ट ने 12 सितंबर के अपने फैसले में बदलाव करते हुए कर्नाटक को आदेश दिया था कि वो 20 सितंबर तक प्रतिदिन 12 हजार क्यूसेक पानी तमिलनाडु के लिए छोड़े। उससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पांच सितंबर को अपने आदेश में कहा था कि कर्नाटक 10 दिनों में कावेरी से 15,000 क्यूसेक पानी छोड़े ताकि पड़ोसी राज्य में किसानों की समस्याओं का निदान हो सके।
कोर्ट के आदेश के बाद बाद सोमवार को दोनो राज्यों में हिंसा भड़क उठी ।
विवाद के कारण और तर्क
- दक्षिण कर्नाटक में बहने वाली कावेरी नदी पूर्व की ओर बहते हुए बाद में तमिलनाडु में पहुंचती है। नदी का पानी मूल रूप से लगभग एक सदी पुराने समझौते के अनुसार विभाजित किया गया था।
- साल 1990 में केंद्र सरकार ने इस पूरे विवाद की जांच के लिए एक न्यायाधिकरण बनाया था साल 2007 में इस न्यायाधिकरण ने फैसला दिया कि कैसे तमिलनाडु, कर्नाटक, पुदुच्चेरी और केरल के बीच कावेरी के पानी का बंटवारा हो।
- राज्य सरकारों ने इस विभाजन को चुनौती दी। कर्नाटक का कहना है कि इस साल कावेरी के महत्वपूर्ण जलसंग्रहण इलाकों में अच्छी बारिश नहीं हुई है।
- कर्नाटक सरकार का कहना है कि बेंगलुरु और मैसुर जैसे शहरों की प्यास बुझाने के लिए पानी पर्याप्त नहीं है।
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