भुखमरी से हुई मौतों पर सुप्रीम कोर्ट का रुख सख्त, याचिका हुई मंजूर

Supreme Court ने सभी राज्यों द्वारा फूड सिक्योरिटी एक्ट (Food Security Act) के संदर्भ में उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है

Supreme Court ने सभी राज्यों द्वारा फूड सिक्योरिटी एक्ट (Food Security Act) के संदर्भ में उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है

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Vikas Kumar
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भुखमरी से हुई मौतों पर सुप्रीम कोर्ट का रुख सख्त, याचिका हुई मंजूर

भुखमरी से हुई मौतो पर सुप्रीम कोर्ट का रुख सख्त( Photo Credit : फाइल फोटो)

भुखमरी से हुई मौतों के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अब कड़ा रुख अपनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने राशन कार्ड (Ration Card) से आधार कार्ड (Adhar Card) को लिंक (Adhar Card Link) करने की मांग वाली याचिका (Plea) को काफी गंभीरता से लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर दायर याचिका पर सुनवाई करना स्वीकार किया है.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम चाहते हैं कि देश में एक तंत्र हो और भोजन प्राप्त करने से किसी को अक्षम नहीं होना चाहिए. इसी के साथ Supreme Court ने सभी राज्यों द्वारा फूड सिक्योरिटी एक्ट (Food Security Act) के संदर्भ में उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से जानकारी मांगी है कि क्या शिकायत निवारण अधिकारी पूरे राज्य में हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट चार हफ्ते बाद कोर्ट आगे की सुनवाई करेगा.

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क्या है फूड सिक्योरिटी एक्ट
इस कानून के तहत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में 75 प्रतिशत तक तथा शहरी क्षेत्रों की 50 प्रतिशत तक की आबादी को रियायती दरों पर खाद्यान्‍न उपलब्ध कराने का प्रावधान है. इस प्रकार देश की लगभग दो-तिहाई जनसंख्‍या को इसका लाभ मिलने का अनुमान है.

इस अधिनियम में महिलाओं और बच्‍चों के लिए पौषणिक सहायता पर भी विशेष ध्‍यान दिया गया है. गर्भवती महिलाएं और स्‍तनपान कराने वाली माताएं गर्भावस्‍था के दौरान तथा बच्‍चे के जन्‍म के 6 माह बाद भोजन के अलावा कम से कम 6000 रूपए का मातृत्‍व लाभ प्राप्‍त करने की भी हकदार हैं. 14 वर्ष तक की आयु के बच्‍चे भी निर्धारित पोषण मानकों के अनुसार भोजन प्राप्‍त करने के हकदार हैं.

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हकदारी के खाद्यान्‍नों अथवा भोजन की आपूर्ति नहीं किए जाने की स्‍थिति में लाभार्थी खाद्य सुरक्षा भत्‍ता प्राप्‍त करेंगे. इस अधिनियम में जिला और राज्‍य स्‍तरों पर शिकायत निपटान तंत्र के गठन का भी प्रावधान है. पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्‍चित करने के लिए भी इस अधिनियम में अलग से प्रावधान किए गए हैं.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अब तक केवल झारखंड में 1967 से 2017 तक करीब 10 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई है. इसी के साथ राज्य में भूख से मौत होना, खासकर आदिवासी बाहुल्य इलाकों में आमबात है. अभी हाल ही में झारखंड में सीता देवी की मौत का मामला सामने आया था जिसके तीन बेटे थे लेकिन गरीबी के कारण उसकी मौत हो गई थी.
बीबीसी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, सीता देवी कभी खाना बनाती थीं, कभी नहीं. उनके पास कभी कुछ होता नहीं था तो आस-पास के लोग उन्हें कुछ लाकर दे देते थे तो वो खा लेती थीं लेकिन अंत में गरीबी ने उनकी जान ही ले ली.

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इसी रिपोर्ट के मुताबिक देश झारखंड के ज्यादातर आदिवासियों का अभी भी राशनकार्ड नहीं बना है. झारखंड में चालीस प्रतिशत से भी ज़्यादा की आबादी ग़रीबी रेखा के नीचे रहती है. इनमें आदिवासी और पिछड़े तबक़े के लोग ज़्यादा हैं. सामाजिक संगठनों का आरोप है कि पिछले तीन सालों में झारखंड में भूख की वजह से 22 लोग मरे हैं.

जबकि दुनियाभर के विकासशील देशों में भुखमरी की समस्या पर इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में भारत 119 देशों में से 100 वें पायदान पर है. बता दें कि ये आंकड़े 2017 के हैं.

HIGHLIGHTS

  • भुखमरी से हुई मौतों के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अब कड़ा रुख अपनाया है.
  • सुप्रीम कोर्ट ने राशन कार्ड (Ration Card) से आधार कार्ड (Adhar Card) को लिंक (Adhar Card Link) करने की मांग वाली याचिका (Plea) को काफी गंभीरता से लिया है. 
  • सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर दायर याचिका पर सुनवाई करना स्वीकार किया है.

Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो

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