Advertisment

मुस्लिमों के लिए आरक्षण खत्म : सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बावजूद कर्नाटक भाजपा उत्साहित

मुस्लिमों के लिए आरक्षण खत्म : सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बावजूद कर्नाटक भाजपा उत्साहित

author-image
IANS
New Update
Supreme Court

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

Advertisment

मुस्लिमों के लिए चार फीसदी आरक्षण कोटा खत्म करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद विपक्षी पार्टियां भले ही जश्न मना रही हैं और उसकी आलोचना कर रही हैं, लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा इस घटनाक्रम को लेकर उत्साहित है।

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा है कि मुसलमानों के लिए ओबीसी श्रेणी के तहत चार प्रतिशत आरक्षण वापस लेने का सत्तारूढ़ भाजपा सरकार का फैसला भ्रामक धारणाओं पर आधारित और अस्थिर नींव पर प्रतीत होता है।

प्रभावशाली लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों के लिए आरक्षण कोटा दो-दो प्रतिशत बढ़ा दिया गया है।

आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो (ईडब्ल्यूएस) के लिए प्रदान किए गए 10 प्रतिशत आरक्षण के तहत मुस्लिम समुदाय को लाया गया है।

सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल की समाप्ति से ठीक पहले अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समूहों के लिए आंतरिक आरक्षण के साथ नए आरक्षण की घोषणा की है। विपक्षी दलों ने आरक्षण ढांचे में संशोधन पर जल्दबाजी में लिए गए फैसले के लिए भाजपा की आलोचना की।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी. के. शिवकुमार ने खुली चुनौती दी है कि यह अब कुछ दिनों की बात है और जब चुनाव के बाद उनकी पार्टी सत्ता में आएगी तो आरक्षण में संशोधन को वापस ले लिया जाएगा।

विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया और भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भगवा पार्टी ने लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों को मुसलमानों का आरक्षण देकर उनका अपमान किया है।

शिवकुमार ने सवाल किया था कि क्या लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय ने अपना कोटा बढ़ाने के लिए मुसलमानों का आरक्षण वापस लेने को कहा था?

उन्होंने आरोप लगाया कि समुदायों के बीच नफरत पैदा करने की नीति के तहत ऐसा किया जा रहा है।

राज्य भाजपा इकाई के सूत्रों ने कहा कि मुसलमानों के लिए आरक्षण वापस लेने के फैसले के साथ हिंदुओं को संदेश दिया गया है।

उन्होंने कहा कि भाजपा पर हमले केवल पार्टी के लिए हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण करेंगे।

पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने पहले कहा था कि चार प्रतिशत आरक्षण को स्थानांतरित करने से मुस्लिम समुदाय को कोई नुकसान नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा, मुसलमानों को ईडब्ल्यूएस कोटा के तहत लाया गया है। कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए।

येदियुरप्पा ने यह भी कहा कि चूंकि धर्म के आधार पर आरक्षण देना संभव नहीं है, उन्हें (मुसलमानों को) ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत लाया गया है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार गरीब और किसान समर्थक योजनाओं को लागू कर रही है। कि अगर कोई मतभेद है तो वे (मुसलमान) मान जाएंगे।

कर्नाटक सरकार ने पिछली कैबिनेट बैठक के बाद नए आरक्षण कोटे की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने लिंगायत को सात प्रतिशत, वोक्कालिगा को छह प्रतिशत, अनुसूचित जाति (वाम) को छह प्रतिशत, अनुसूचित जाति (दाएं) को 5.5 प्रतिशत, भोवी, बंजारा और अन्य को एक प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की थी।

बोम्मई ने अपनी सरकार के फैसले का बचाव किया था कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के पास सात राज्यों में आरक्षण कोटा नहीं है। ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत मुस्लिमों को आरक्षण देने का फैसला लिया गया है।

उन्होंने यह भी कहा कि आरक्षण में बढ़ोतरी की मांग पिछले 30 वर्षो से लंबित थी, लेकिन कांग्रेस ने कुछ नहीं किया, बल्कि झूठे वादे किए। उन्होंने सोचा था कि भाजपा के लिए ऐसा करना संभव नहीं होगा।

हमने एक रिपोर्ट प्राप्त करके अपनी प्रतिबद्धता दिखाई, अध्ययन किया, एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया और कानून के अनुसार एक साहसिक निर्णय लिया।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

Advertisment
Advertisment
Advertisment