सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट की जांच के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में एक समिति गठित करने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर शुक्रवार को विचार करेगा।
अडानी समूह ने हिंडनबर्ग रिसर्च के लगाए गए आरोपों को खारिज किया है।
एडवोकेट विशाल तिवारी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले को तुरंत सूचीबद्ध करने की गुहार लगाई।
तिवारी ने दलील दी कि इस मुद्दे पर एक अलग याचिका पहले ही दायर की गई है, जिसे 10 फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है और उस याचिका के साथ ही उनकी याचिका पर भी सुनवाई हो।
तिवारी की याचिका में बड़ी कंपनियों को 500 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण देने के लिए एक एक निगरानी समिति गठित करने का निर्देश देने की मांग भी की गई है।
दूसरी जनहित याचिका अधिवक्ता एम.एल. शर्मा ने लगाई है जिसमें तर्क दिया गया है कि हिंडनबर्ग रिसर्च के नैट एंडरसन और उनकी भारतीय संस्थाओं ने एक आपराधिक साजिश रची है। पहले उन्होंने सैकड़ों अरब डॉलर की शॉर्ट सेल की और उसके बाद 25 जनवरी 2023 को अडानी समूह पर रिसर्च रिपोर्ट के रूप में एक मनगढ़ंत खबर जारी की। इसके बाद कंपनियों के शेयर के मूल्य बाजार में क्रैश हो गए और उन्होंने शॉर्ट सेल कर लिया।
अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट ने अडानी के साम्राज्य से 100 बिलियन डॉलर से अधिक मिटा दिया और उन्हें वैश्विक अमीर सूची में नीचे गिरा दिया।
शर्मा की दलील में आगे कहा गया, उन्होंने अरबों का मुनाफा हासिल किया। हालांकि, सेबी ने अडानी समूह के शेयरों में ट्रेडिंग को निलंबित नहीं किया है।
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Source : IANS