logo-image

मप्र में वन्य प्राणी संरक्षण के लिए ड्रोन तकनीक का सहारा

मप्र में वन्य प्राणी संरक्षण के लिए ड्रोन तकनीक का सहारा

Updated on: 19 Sep 2021, 11:20 AM

भोपाल:

वन्य जीव का संरक्षण और सुरक्षा किसी चुनौती से कम नहीं है। मध्य प्रदेश का वन विभाग इस दिशा में लगातार नवाचार कर रहा है। इसी क्रम में वन्य प्राणियों के साथ वन क्षेत्रों पर नजर रखने के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। पन्ना टाइगर रिजर्व ने ड्रोन स्क्वाड का संचालन करना शुरू कर किया है। यहां जरुरत के मुताबिक हर माह ड्रोन स्क्वाड संचालन की कार्य योजना तैयार की जाती है।

ड्रोन स्क्वाड से वन्य जीवों की खोज उनके बचाव, जंगल की आग का स्त्रोत पता लगाने और उसके प्रभाव की तत्काल जानकारी जुटाने, संभावित मानव-पशु संघर्ष के खतरे को टालने और वन्य जीव संरक्षण संबंधी कानूनों का पालन कराने में मदद मिल रही है। डेढ़ महीने पहले पन्ना टाइगर रिजर्व में उपलब्ध हुआ ड्रोन दस्ता काफी उपयोगी सिद्ध हो रहा है।

पन्ना टाइगर रिजर्व (पीटीआर) ने हाल ही में वन्यजीवों के संरक्षण, निगरानी और प्रबंधन के लिए एक ड्रोन दस्ते का गठन किया है, जो सफलतापूर्वक काम कर रहा है।

ड्रोन दस्ते में एक ड्रोन, मॉडल डीजे वन फैंटम ड्रोन है। इस ड्रोन की खूबी यह है कि लंबे समय तक इसे संचालित करने के लिए पर्याप्त बैटरी के साथ काम करता है। इसके लिये एक वाहन विशेष रूप से रखा गया है। एक सहायक के साथ एक ड्रोन ऑपरेटर रहता है। ड्रोन दस्ते द्वारा ड्रोन के संचालन और उपयोग के संबंध में हर माह कार्यक्रम जारी किया जाता है।

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में ड्रोन के उपयोग की परिकल्पना कानून का पालन करने, निगरानी रखने, वन्यजीवों की खोज और बचाव करने, जंगल की आग का पता लगाने और उससे रक्षा करने और मानव-पशुओं के संघर्ष को कम करने के लिये की गई है। भविष्य में वन्यजीव प्रबंधन, ईकोटूरिज्म के क्षेत्र में भी ड्रोन के उपयोग की योजना बनाई जायेगी। जैव-विविधता के दस्तावेजीकरण में भी इससे मदद मिलेगी।

ड्रोन दस्ता बहुत कम समय में अवैध गतिविधियों पर कुशल नियंत्रण और निगरानी में फील्ड स्टाफ की सहायता करने में सक्षम साबित हुआ है। ड्रोन संचालन की खूबी है कि यह बड़ी मात्रा में ऐसा डेटा संग्रह करने में मददगार है जिसे संग्रहीत, संसाधित और विश्लेषण करने की आवश्यकता होती है। वन विभाग उम्मीद कर रहा है कि वन्य जीव संरक्षण में अत्याधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल कर प्रशिक्षित जनशक्ति तैयार करने में यह नई पहल साबित होगी।

ज्ञात हो कि पन्ना टाइगर रिजर्व की पहचान एक दौर में देश के दूसरे सरिस्का की बन गई थी, जहां एक भी बाघ नहीं बचा था मगर पुनस्र्थापना के चलते यहां बाघों की संख्या अब आधा सैकड़ा के करीब पहुंच गई है और उसमें लगातार बढ़ोतरी का दौर जारी है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.