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सुपरटेक ट्विन टावर विध्वंस: सीबीआरआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया- हमें आस-पास की इमारतों की संरचनात्मक ऑडिट की कोई जानकारी नहीं

सुपरटेक ट्विन टावर विध्वंस: सीबीआरआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया- हमें आस-पास की इमारतों की संरचनात्मक ऑडिट की कोई जानकारी नहीं

Updated on: 29 Jul 2022, 09:45 PM

नई दिल्ली:

नोएडा में सुपरटेक ट्विन टावरों को गिराए जाने से कुछ हफ्ते पहले, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई), रुड़की ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसे आस-पास की इमारतों के संरचनात्मक (स्ट्रक्च रल) ऑडिट के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है।

सीबीआरआई ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा कि उसे उसे आस-पास की इमारतों के संरचनात्मक ऑडिट के अलावा विस्फोट के कारण उत्पन्न कंपन के प्रभाव, विध्वंस के बाद के मलबे आदि के बारे में जानकारी प्राप्त नहीं हुई है।

नोएडा प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि सुपरटेक के ट्विन टावर्स को 21 अगस्त को ध्वस्त कर दिया जाएगा। नोएडा प्राधिकरण का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता रवींद्र कुमार ने कहा कि उन्होंने पिछली बैठक के बाद से क्या हुआ है, इस पर एक स्थिति रिपोर्ट दायर की है।

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला को सूचित किया गया कि एडिफिस इंजीनियरिंग ने आश्वासन दिया है कि 21 अगस्त को विध्वंस किया जाएगा। हालांकि, सीबीआरआई के एक वैज्ञानिक डी. पी. कानूनगो ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि संस्थान को ट्विन टावर्स के विध्वंस के संबंध में पूरी जानकारी और साथ ही शुल्क के रूप में 70 लाख रुपये की राशि भी नहीं मिली है।

शीर्ष अदालत ने नोएडा प्राधिकरण को विध्वंस प्रक्रिया के सिलसिले में सीबीआरआई से मदद लेने को कहा था।

कानूनगो ने कहा कि संस्थान ने विध्वंस के संबंध में हर पहलू पर सहयोग किया है, हालांकि उसे आसपास के भवनों पर पूर्व और बाद के विध्वंस को लेकर संरचनात्मक ऑडिट के संबंध में जानकारी नहीं मिली है। इसने आगे कहा कि फिलहाल सुपरटेक की ओर से यह सारी जानकारी दी जानी बाकी है।

उन्होंने बताया कि इमारत में ट्रायल टेस्ट ब्लास्ट के बाद विस्फोटकों की मात्रा बढ़ा दी गई है।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि वह नोएडा प्राधिकरण से एडिफिस, सुपरटेक और सीबीआरआई के अधिकारियों की बैठक बुलाने के लिए कह सकते हैं और जो भी जानकारी की आवश्यकता है, वह सीबीआरआई को प्रदान कर दी जाएगी।

कानूनगो ने कहा कि संस्थान को स्ट्रक्च रल ऑडिट, वाइब्रेशन मॉनिटरिंग रिपोर्ट और टेस्ट ब्लास्ट पर अतिरिक्त जानकारी की जरूरत है, जो बिल्डिंग साइट पर किया गया था। उन्होंने कहा कि एक भूमिगत गैस पाइपलाइन है, जो संरचना (स्ट्रक्चर) से 30 से 50 मीटर की दूरी पर है और इस पर विध्वंस के प्रभाव का पता लगाना महत्वपूर्ण है।

शीर्ष अदालत ने नोट किया कि सीबीआरआई विस्फोट के डिजाइन, जमीन के कंपन, विध्वंस के बाद के मलबे, धूल के गुबार के निर्माण आदि और आस-पास की इमारतों के संरचनात्मक ऑडिट के बारे में जानकारी चाहता है। कानूनगो ने कहा कि एक ²श्य निरीक्षण (विजुअल इंस्पेक्शन) रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी, जो संरचनात्मक लेखा परीक्षा रिपोर्ट के बराबर नहीं है और साथ ही एडिफिस को सीबीआरआई को पूर्ण सहयोग देना चाहिए।

मामले में विस्तृत दलीलें सुनने के बाद, शीर्ष अदालत ने सीबीआरआई के वैज्ञानिक को इस मामले में संबंधित पक्षों को आवश्यक जानकारी के बारे में एक ईमेल लिखने के लिए कहा। इसके साथ ही अदालत ने नोएडा प्राधिकरण को 6 अगस्त को सभी पक्षों की बैठक बुलाने के लिए भी कहा।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.