नोएडा में सुपरटेक बिल्डर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, एमरल्ड कोर्ट में 40 मंजिल के 2 अवैध टावर गिराने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक के नोएडा एक्सप्रेस स्थित एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के अपैक्स एंड स्यान यावे-16 और 17 को अवैध ठहराया है और दोनों 40 मंजिला टावरों को ढहाने का आदेश दिया है.

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Kuldeep Singh
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एमरल्ड कोर्ट में 40 मंजिल के 2 अवैध टावर गिराने का आदेश( Photo Credit : न्यूज नेशन)

नोएडा में सुपरटेक बिल्डर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक के नोएडा एक्सप्रेस स्थित एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के अपैक्स एंड स्यान यावे-16 और 17 को अवैध ठहराया है और दोनों 40 मंजिला टावरों को ढहाने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. आदेश के तहत बिल्डर को तीन महीने में टावर गिराने होंगे. इसका खर्च भी बिल्डर खुद उठाएगा. साथ ही खरीदारों को 12 फीसद ब्याज के साथ दो महीने में पैसे भी वापस करने होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिल्डर और अधिकारियों में मिलीभगत के चलते नियमों को ताक पर रखकर इन टावर का निर्माण किया गया.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नोएडा में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के 915 फ्लैट और दुकानों वाले 40 मंजिला वाले दो टावरों का निर्माण नियमों के उल्लंघन में किया गया था. एमरल्ड कोर्ट परिसर में रह रहे लोगों ने आरोप लगाया था कि बिल्डर सुपरटेक ने पैसों के लालच में सोसाइटी के ओपन एरिया में बिना अनुमति के यह विशाल टावर खड़े कर दिए. इस बात को सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में कहा. टावर गिराए जाने के पूरे काम की निगरानी नोएडा प्राधिकरण को दी गई है. 

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बता दें कि साल 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी इन टॉवर्स को गिराने का निर्देश दिया था, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने भी सही माना है.  सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये फ्लैट्स बिल्डर और नोएडा अथॉरिटी की मिलीभगत की वजह से बने, जिनकी मंजूरी योजना का RWA तक को नहीं पता था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुपरटेक के T16 और T 17 टॉवर्स को बनाने से पहले फ्लैट मालिक और RWA की मंजूरी ली जानी जरूरी थी. साथ ही जब इस नोटिस निकाला गया कि न्यूनतम दूरी की आवश्यकताओं के नियम को तोड़ा गया है तो भी कोई एक्शन नहीं लिया गया.

HIGHLIGHTS

  • खरीदारों का पैसा 12 फीसद ब्याज के साथ दो महीने में लौटाने का आदेश
  • टावर गिराने का खर्च भी बिल्डर को खुद ही उठाना होगा, तीन महीने का दिया समय
  • सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2014 के फैसले को ठहराया सही
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