चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 19,000 करोड़ रुपये बकाया
इस्मा की विज्ञप्ति के अनुसार, 15 जनवरी तक देशभर में चालू 510 मिलों में चीनी का उत्पादन 146.86 लाख हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि से 8.32 फीसदी अधिक है.
नई दिल्ली:
देशभर के गन्ना उत्पादकों की चीनी मिलों पर बकाया रकम 31 दिसंबर 2018 तक बढ़कर करीब 19,000 करोड़ रुपये हो गई, जिसमें पिछले साल का 2,800 करोड़ रुपये का बकाया भी शामिल है. यह जानकारी निजी चीनी मिलों के शीर्ष संगठन इंडियान शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने सोमवार को दी. उद्योग संगठन ने कहा कि मौजूदा सीजन में बकाया राशि पिछले सीजन के करीब 10,600 करोड़ रुपये के मुकाबले काफी ज्यादा है.
इस्मा ने चालू गन्ना पेराई सत्र 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी उत्पादन अनुमान में आठ लाख टन की कटौती की है. इस्मा द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि ताजा आकलन के अनुसार, देश में चालू पेराई सत्र में 307 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है.
सीजन के आरंभ में अक्टूबर में उद्योग संगठन ने चीनी का उत्पादन इस साल 315 लाख टन होने का अनुमान जारी किया था.
इस्मा ने जनवरी के दूसरे सप्ताह में उपग्रह द्वारा प्राप्त गन्ने के रकबे के आधार पर ताजा अनुमान जारी किया है. उद्योग संगठन के अनुसार इस साल बी-हैवी शीरे से इथेनॉल का उत्पादन होने से चीनी उत्पादन में पांच लाख टन की कमी आ सकती है.
इस्मा की विज्ञप्ति के अनुसार, 15 जनवरी तक देशभर में चालू 510 मिलों में चीनी का उत्पादन 146.86 लाख हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि से 8.32 फीसदी अधिक है. पिछले साल देशभर में 15 जनवरी तक चीनी का उत्पादन 135.57 लाख टन हुआ था.
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उत्तर प्रदेश की 117 चीनी मिलों ने 382.1 लाख टन गन्ने की पेराई करके 41.93 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है. इस्मा के अनुसार, चालू सत्र में उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन 112.86 लाख टन रहने का अनुमान है, जबकि पिछले साल प्रदेश में 120.45 लाख टन चीनी उत्पादन हुआ था.
महाराष्ट्र की 188 मिलों ने 15 जनवरी तक 57.25 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के उत्पादन से सात लाख टन ज्यादा है. इस्मा के अनुसार, महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन चालू सत्र में 95 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल 107.23 लाख हुआ था.
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उद्योग संगठन ने बताया कि चालू चीनी उत्पादन व विपणन वर्ष 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी का निर्यात 30-35 लाख टन हो गया है, जबकि एमआईईक्यू के तहत 50 लाख टन निर्यात का कोटा तय किया गया है.
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