गाजीपुर बॉर्डर पर संघर्षरत किसानों की अचानक बढ़ी तादाद, सरकार का अड़ियल रवैया
इसके साथ तीन कृषि कानूनों का विरोध और मजबूती पकड़ रहा है. इन कानूनों से भारत सरकार विदेशी को घरेलू कारपोरेट को खेती की प्रक्रिया, बाजार, बिक्री, भंडारण, प्रसंस्करण व खाद्य श्रृंखला पर नियंत्रण बढ़ाना चाह रही है.
नई दिल्ली:
गाजीपुर बॉर्डर पर एकाएक 5000 किसानों के आ जाने से यहां पर विरोध कर रहे किसानों की संख्या में भारी वृद्धि हो गई है. अब इनकी संख्या कुल 12000 से ज्यादा हो गई है. इन सभी को उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड की सरकारों ने कुछ दिनों से आने से रोका हुआ था. रात तक यह संख्या और बढ़ने की उम्मीद है. इस बीच शाहजहांपुर में महाराष्ट्र से 1000 किसानों के आने से वहां पर भी संख्या बढ़ गई है और दोनों तरफ का आवागमन रोक दिया गया है.
इसके साथ तीन कृषि कानूनों का विरोध और मजबूती पकड़ रहा है. इन कानूनों से भारत सरकार विदेशी को घरेलू कारपोरेट को खेती की प्रक्रिया, बाजार, बिक्री, भंडारण, प्रसंस्करण व खाद्य श्रृंखला पर नियंत्रण बढ़ाना चाह रही है. यह कानून देश के गरीबों की खाद्यान सुरक्षा के लिए भी एक बड़ी चुनौती हैं. इनसे राशन व्यवस्था समाप्त कर दी जाएगी और 75 करोड़ लाभार्थियो को कारपोरेट के नियंत्रण वाले बाजार से, जिसमें जमाखोरी और कालाबाजारी की छूट होगी, खाना खरीदना होगा.
वहीं आपको बता दें कि देश में एक और नए किसान सेना के आंदोलन की तैयारी हो रही है. किसान सेना ने नए कृषि कानूनों को किसानों के लिए लाभदायक बताते हुए सरकार से इन्हें नहीं बदलने की गुहार लगाई है. किसान सेना के बैनर तले उत्तर प्रदेश के 15 जिलों के किसानों के प्रतिनिधियों ने गुरुवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर नए कानून का समर्थन किया. प्रतिनिधिमंडल में शामिल आगरा के उत्तम सिंह ने कहा कि सरकार अगर नए कृषि कानूनों को वापस लेगी तो किसान सेना बड़ा आंदोलन करेगी.
कृषि कानूनों को समर्थक मिल रहे कृषि मंत्री से
केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों के विरोध में एक तरह दिल्ली की सीमाओं पर एक महीने से करीब 40 किसान संगठनों का धरना-प्रदर्शन चल रहा है. वहीं दूसरी ओर कानून का समर्थन करने वाले किसान संगठनों का रोज केंद्रीय कृषि मंत्री से मिलने का सिलसिला जारी है. इसी कड़ी में गुरुवार को किसान सेना से पहले किसान मजदूर संघ, बागपत (उत्तर प्रदेश) के प्रतिनिधियों ने यहां कृषि भवन में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलकात की. दोनों संगठनों के प्रतिनिधियों ने नए कृषि सुधारों को मोदी सरकार का ऐतिहासिक कदम बताया.
कानूनों को बताया दशा-दिशा बदलने वाला
इस अवसर पर किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से एक स्वर में कहा कि कृषि सुधार कानून किसानों की दशा एवं दिशा बदलने वाले हैं और इन्हें किसी भी स्थिति में वापस नहीं लिया जाए. किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए तोमर ने कहा कि जो विपक्षी दल लंबे समय तक सरकार में रहने के बावजूद किसानों के कल्याण और उनके सशक्तीकरण के लिए कोई भी महत्वपूर्ण कार्य नहीं कर पाए वो आज सवाल उठा रहे हैं.
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