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राम मंदिर पर बोले सुब्रमण्यम स्वामी, अगर सुप्रीम कोर्ट में नहीं बनी बात तो संसद में बनाएंगे कानून

बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अयोध्या में राम मंदिर का राग अलापा है. स्वामी ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनके हक़ में नहीं आता है तो संसद से इसका रास्ता निकाला जाएगा.

बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अयोध्या में राम मंदिर का राग अलापा है. स्वामी ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनके हक़ में नहीं आता है तो संसद से इसका रास्ता निकाला जाएगा.

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nitu pandey
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राम मंदिर पर बोले सुब्रमण्यम स्वामी, अगर सुप्रीम कोर्ट में नहीं बनी बात तो संसद में बनाएंगे कानून

बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी (सौ. एएनआई)

राम जन्मभूमि मसले को लेकर देश की सुप्रीम कोर्ट 28 सितंबर को अपना फैसला सुना सकती है. मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है या नहीं इस पर अपना सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना सकती है. लेकिन इस बीच एक बार फिर से बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अयोध्या में राम मंदिर का राग अलापा है. स्वामी ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनके हक़ में नहीं आता है तो संसद से इसका रास्ता निकाला जाएगा.

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सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, 'मस्जिद इस्लाम का जरूरी हिस्सा है या नहीं, इसपर 7 जजों की बेंच फैसला आने में कम से कम 2 साल की जरूरत होगी. सवाल यह है कि हमें इतने लंबे समय तक इंतजार क्यों करना चाहिए. क्योंकि आखिर में सुप्रीम कोर्ट संविधान से ऊपर नहीं है. सुप्रीम कोर्ट एक स्तम्भ है और दूसरा स्तम्भ संसद है.'

उन्होंने आगे कहा अगर संसद संविधान के खिलाफ गलत कानून बनाता है तो सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम बन जाता है. लेकिन कानून बनाने का अधिकार संसद के साथ है. मैंने कहा कि हमें संसद का मार्ग चुनना चाहिए. मैंने ये कहा कि हमें वो रूट लेना चाहिए.

बता दें कि स्वामी ने आज यानी सोमवार को अपने ऑफिसियल ट्विटर अकाउंट पर उन्होंने कहा कि 'पांच जजों की बेंच का यह फैसला कि मस्जिद इस्लाम का एक अनिवार्य हिस्सा नहीं है. जिसे अब 7 जजो की बेंच को पुनर्विचार की जरूरत है. यदि फैसला नहीं आता है तो हम राम मंदिर निर्माण के लिए बढ़ेंगे, लेकिन अगर फैसला हां में आता है तो हम ससंद से इसका रास्ता निकालेंगे.' जिसे लेकर उन्होंने अपनी सफाई दी.

गौरतलब है कि मस्जिद में नमाज पढ़ने को लेकर सुप्रीम कोर्ट 28 सितंबर को अपना फैसला सुना सकता है. 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुरक्षित रखा था कि संविधान पीठ के 1994 के फैसले पर फिर विचार करने की जरूरत है या नहीं.

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Source : News Nation Bureau

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