दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को उनके गृह राज्य लाने के लिए चलाई गईं श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के किराए को लेकर कांग्रेस और भाजपा में सियासी जंग छिड़ गई है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मजदूरों से ट्रेन किराया वसूलने का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने ट्रेन किराए का खर्च कांग्रेस की तरफ से उठाए जाने का ऑफर दिया है. सोनिया गांधी के दावों को झुठलाते हुए भाजपा ने उन पर मामले को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया है.
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वहीं, दूसरी ओर बीजेपी के राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया है कि केंद्र सरकार अब मजदूरों की रेल यात्रा के कुल खर्च का 85 फीसदी भार उठाने को तैयार है. इस संबंध में उनकी रेल मंत्री से बात हुई है. सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया, 'मैंने रेल मंत्री पीयूष गोयल से बात की है. केंद्र सरकार अब से मजदूरों की रेल यात्रा के कुल खर्च का 85% भार उठाएगी और बाकी 15% राज्य सरकार की ओर से वहन किया जाएगा. रेल मंत्रालय जल्द ही आधिकारिक बयान जारी करेगा.'
उन्होंने एक और ट्वीट में कहा कि भूखे-प्यासे प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए रेल किराया वसूलना भारत सरकार की कैसी नैतिकता है. विदेशों में फंसे भारतीयों को एयर इंडिया द्वारा मुफ्त में लाया गया था. सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया, 'अगर रेलवे ने खर्च उठाने से इनकार कर दिया तो पीएम केअर्स के जरिए भुगतान क्यों नहीं किया?'
उधर, सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अगर ट्रेनों में सफर के लिए कोई शर्त नहीं होती, सबके लिए फ्री कर दिया गया होता तो स्टेशनों पर बेकाबू भीड़ उमड़ पड़ती जिसे संभालना मुश्किल होता. कोरोना वायरस के खतरे के बीच सभी लोगों को यात्रा के लिए प्रोत्साहित करना उचित नहीं है. यही वजह है कि जरूरतमंदों के लिए ही राज्य सरकार की मांग पर श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चल रहीं हैं. श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए भारतीय रेल किसी भी प्रवासी मजदूर को कोई टिकट बेच नहीं रही है. रेलवे राज्य सरकारों को ही टिकट दे रही है.
अमूमन सामान्य दिनों में ट्रेन यात्रा पर रेलवे 50 प्रतिशत सब्सिडी देती है. मगर इस समय रेलवे राज्य सरकारों से केवल 15 से 20 प्रतिशत खर्च ही ले रही है. राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना है कि सिर्फ जरूरतमंद लोग ही ट्रेनों में सफर करें. ऐसा न करने पर बेकाबू भीड़ उमड़ सकती है.