नागरिकता कानून के विरोध की आड़ में देश तोड़ने के नारे लगाने पर हो कड़ी कार्रवाई, बीजेपी ने की मांग
सीएए का मुद्दा उठाते हुए उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान भाजपा के आरके सिन्हा (RK Sinha) ने कहा ‘संसद के दोनों सदनों में सीएए संबंधी विधेयक को बहुमत से पारित किया गया और कानून बनने के बाद इसे लागू किया गया.
संसद:
राज्यसभा में भाजपा के एक सदस्य ने संशोधित नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act - सीएए) का विरोध करने की आड़ में कथित तौर पर देश को तोड़ने की बात करने वालों और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से अराजकता पैदा करने के प्रयास करने वालों पर कठोर कार्रवाई किए जाने की मांग शुक्रवार को उठाई. सीएए का मुद्दा उठाते हुए उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान भाजपा के आरके सिन्हा (RK Sinha) ने कहा ‘संसद के दोनों सदनों में सीएए संबंधी विधेयक को बहुमत से पारित किया गया और कानून बनने के बाद इसे लागू किया गया. कई जगहों पर इसका विरोध किया गया.’ सिन्हा ने कहा ‘विरोध पर कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने का अधिकार है और ऐसे विरोध का स्वागत भी है.’
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उन्होंने कहा ‘लेकिन देखने को मिला कि विरोध की आड़ में देश को तोड़ने के नारे लगाए गए और राष्ट्र विरोधी गतिविधियां हुईं. ऐसे हालात पैदा किए गए कि अराजकता की स्थिति बन जाए. यह चिंताजनक है. ऐसा कदापि नहीं होना चाहिए.’ सिन्हा ने राजनीतिक दलों से मिल बैठकर बातचीत करने एवं समाधान निकालने की अपील करते हुए कहा कि देश को तोड़ने की बात करने वालों और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से अराजकता पैदा करने के प्रयास करने वालों पर कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए.
शून्यकाल में ही तृणमूल कांग्रेस के मोहम्मद नदीमुल हक ने पुलिस की हिरासत में कथित यातना दिए जाने पर रोक लगाने के लिए सरकार से एक विधेयक लाए जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि यह विधेयक व्यापक और अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक होना चाहिए जिसमें यातना को परिभाषित किया जाए और जवाबदेही भी तय होनी चाहिए. कांग्रेस के प्रो एमवी राजीव गौड़ा ने कार्यस्थलों पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकने के लिए एक नया कठोर कानून बनाए जाने की मांग उठाई.
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उन्होंने ऐसे मामलों का समयबद्ध तरीके से निपटारा करने के लिए एक निवारण तंत्र बनाए जाने की मांग भी की. भाजपा के डॉ अशोक बाजपेयी ने शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने की मांग करते हुए कहा कि शिक्षा का व्यावसायीकरण रोका जाना चाहिए क्योंकि महंगी एवं व्यावसायिक होने के कारण शिक्षा का मूल उद्देश्य बदल जाता है. इसी पार्टी के जी वी एल नरसिंह राव ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए , अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की तरह ही आयु सीमा में छूट दिए जाने की मांग की ताकि वे अर्थसंकट की वजह से छूटी अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें.
मनोनीत सदस्य राकेश सिन्हा ने जनजातियों के अधिकारों की रक्षा किए जाने और उनकी जमीन से उनके विस्थापन को रोकने के लिए उपाय सुझाने की खातिर एक समिति बनाए जाने की मांग भी की. इनके अलावा भाजपा के कैलाश सोनी, बीजद के प्रसन्न आचार्य एवं तेदेपा के कनकमेदला रविन्द्र कुमार ने भी अपने अपने मुद्दे शून्यकाल के दौरान उठाए.
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