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जानिए, मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह के बीच दुश्मनी की कहानी

सैदपुर में एक प्लॉट को हासिल करने के लिए गैंगस्टर साहिब सिंह के नेतृत्व वाले गिरोह का एक दूसरे गिरोह के साथ जमकर झगड़ा हुआ था. ये इस इलाके में गैंगवार की शुरुआत थी.

Updated on: 05 Apr 2021, 11:49 PM

highlights

  • मुख्तार का दबदबा पुलिस और राजनीति में भी था
  • पुलिस ब्रजेश को परेशान करने लगी
  • साथ ही इनके नजदीकी लोगों पर हमला भी होने लगा

नई दिल्ली :

माफिया डॉन मुख्तार अंसारी पर जैसे- जैसे कानून का शिकंजा कसता जा रहा है. उसके गुनाहों की दबी फाइल भी सामने आ रही है. पंजाब के जेल में बंद मुख्तार अंसारी काफी कानून दांव पेंच और सियासी हलचल के बाद अब उत्तर प्रदेश के बांदा जेल में शिफ्ट किया जाएगा. तो चलिए आपको बताते हैं मुख्तार अंसारी के माफिया डॉन बनने की कहानी. दरअसल, साल 1996 में मुख्तार अंसारी पहली बार विधान सभा के लिए चुने गए. उसके बाद से ही उन्होंने ब्रजेश सिंह की सत्ता को हिलाना शुरू कर दिया.

शुरुआत दोस्ती से हुई थी
सैदपुर में एक प्लॉट को हासिल करने के लिए गैंगस्टर साहिब सिंह के नेतृत्व वाले गिरोह का एक दूसरे गिरोह के साथ जमकर झगड़ा हुआ था. ये इस इलाके में गैंगवार की शुरुआत थी. ब्रजेश सिंह साहिब सिंह से जुड़ा हुआ था. इसी क्रम में उसने साल 1990 में गाजीपुर जिले के तमाम सरकारी ठेकों पर कब्जा करना शुरू कर दिया. अपने काम को बनाए रखने के लिए बाहुबली मुख्तार अंसारी का इस गिरोह से सामना हुआ. अभी बनारस के पिंडरा से विधायक अजय राय के भाई अवधेश राय की हत्या 1991 में हो गई थी.

इसमें मुख्तार ग्रुप का नाम आया था. ये लोग ब्रजेश के नजदीकी थे. इसी के बाद ब्रजेश से मुख्तार की तल्खी बढ़ गई. इसके अलावा ब्रजेश के नजदीकी त्रिभुवन और मुख्तार शुरू से ही एक-दूसरे के जानी दुश्मन थे. बस यहीं से शुरू हो गई मुख्तार और ब्रजेश की गैंगवार. एक के बाद एक कर लाशें गिरने लगीं.

ब्रजेश ने मुख्तार को कम आंक लिया था
1996 में मुख्तार अंसारी पहली बार विधानसभा के लिए चुने गए. उसके बाद से ही उन्होंने ब्रजेश सिंह की सत्ता को हिलाना शुरू कर दिया. मुख्तार का दबदबा पुलिस और राजनीति में भी था. पुलिस ब्रजेश को परेशान करने लगी. साथ ही इनके नजदीकी लोगों पर हमला भी होने लगा. इनके एक करीबी अजय खलनायक पर भी हमला हुआ. इससे ये लोग बौखला गये. बड़े-बड़े प्लान बनने लगे कि मुख्तार को ही मार दिया जाए. टंटा खत्म हो.

जुलाई 2001 में गाजीपुर के उसरी चट्टी में मुख्तार अंसारी अपने काफिले के साथ जा रहा था. प्लान के मुताबिक एक कार और एक ट्रक से मुख्तार की गाड़ी को आगे-पीछे से घेरने की कोशिश की गई, लेकिन रेलवे फाटक बंद हो जाने के चलते हमलावरों की एक गाड़ी पीछे रह गई. अब ट्रक आगे था. और मुख्तार की गाड़ी पीछे. हमले की दूसरी कार रेलवे फाटक के पार थी. तभी ट्रक का दरवाजा खुला. दो लड़के हाथ में बड़ी-बड़ी बंदूकें लिए खड़े थे.

दनादन फायरिंग होने लगी. इनके पीछे भी कई हथियारबंद थे. मुख्तार किसी तरह गाड़ी से निकलकर गोलियां चलाते हुए खेतों की तरफ भागा. बताया जाता है कि उसने दो हमलावरों को मार भी गिराया. इस हमले में मुख्तार के तीन लोग मारे गए. ब्रजेश सिंह इस हमले में घायल हो गया था. तभी उसके मारे जाने की अफवाह उड़ गई थी. इसके बाद बाहुबली मुख्तार अंसारी पूर्वांचल में अकेला गैंग लीडर बनकर उभरा.