वस्तु एवं सेवा कर काउंसिल (जीएसटी) की शनिवार को हुई बैठक में राज्य और केंद्र के बीच मतभेद एक बार फिर खुलकर सामने आए। खासकर नोटबंदी के बाद बदले समीकरण से राज्यों ने राजस्व को लेकर कई सवाल उठाए। शनिवार को हुई बैठक में राज्यों के वित्त मंत्रियों ने नोटबंदी के कारण राजस्व में गिरावट की शिकायत की।
राज्यों ने इस पूरे मसले पर चर्चा की भी मांग की, जिसे वित्तमंत्री और समिति के अध्यक्ष अरुण जेटली ने स्वीकार कर लिया।
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जेटली ने बैठक के बाद मीडिया से कहा, 'राज्यों के वित्तमंत्री नोटबंदी के बाद राजस्व की स्थिति पर चर्चा की मांग कर रहे थे। लेकिन यह जीएसटी काउंसिल के दायरे में नहीं आता, क्योंकि यह सिर्फ अप्रत्यक्ष कर को लेकर की गई बैठक थी। परिषद की बैठक के बाद वित्त मंत्रियों ने नोटबंदी पर चर्चा की। इस चर्चा में पार्टियों का राजनीतिक रुख ही उभर कर सामने आया।'
पश्चिम बंगाल के वित्तमंत्री अमित मित्रा ने कहा, 'राज्यों और केंद्र का टैक्स संग्रहण काफी गिर गया है (नोटबंदी के कारण)। इस बारे में राज्य काफी चिंतित थे कि वे स्वास्थ्य और शिक्षा कार्यक्रमों को राजस्व के अभाव में कैसे लागू कर पाएंगे।'
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जीएसटी को लेकर मित्रा ने कहा कि वे नहीं बता सकते कि इस पर केंद्र और राज्यों के बीच कब सहमति बनेगी। उन्होंने कहा, 'पहले जीएसटी के आधार पर मुआवजे की बात थी। लेकिन अब दो कारणों से राजस्व गिर रहा है। एक तो जीएसटी और दूसरा नोटबंदी। इसलिए मुआवजा भी अधिक होना चाहिए।'
HIGHLIGHTS
- नोटबंदी के बाद राजस्व को लेकर राज्यों की चिंता
- जीएसटी पर नहीं बन सकी है अभी कोई सहमति
Source : IANS