तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और अन्नाद्रमुक के समन्वयक ओ. पन्नीरसेल्वम ने शनिवार को मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने मुल्लापेरियार बांध से केरल को पानी छोड़ने के कारण स्पष्ट करने के लिए कहा है।
उन्होंने बांध से पानी छोड़ने की जरूरत जानने की मांग की। यह बांध तमिलनाडु के स्वामित्व और नियंत्रण में है।
पन्नीरसेल्वम ने स्टालिन से यह साफ करने के लिए भी कहा कि क्या पानी तमिलनाडु सरकार के अधिकारियों द्वारा या केरल सरकार द्वारा छोड़ा गया था और यदि ऐसा नहीं था, तो उस समय पूर्व के अधिकारी वहां क्यों मौजूद थे।
पन्नीरसेल्वम ने कहा कि तमिलनाडु के पांच जिलों के किसानों को लगता है कि सरकार केरल का पक्ष ले रही है।
इसी तरह, एनटीके नेता सीमन ने कहा है कि यह चौंकाने वाला है कि केरल के मंत्रियों ने भंडारण के सबसे ऊपर के लेवल को छूने से पहले ही मुल्लापेरियार बांध से पानी छोड़ दिया।
त्रावणकोर के तत्कालीन महाराजा और तत्कालीन ब्रिटिश राज के बीच 1886 के समझौते के तहत बनाए गए बांध को लेकर केरल और तमिलनाडु आमने-सामने हैं।
हालांकि बांध केरल में स्थित है, लेकिन इसका स्वामित्व, रखरखाव और संचालन तमिलनाडु द्वारा किया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई, 2014 को तमिलनाडु के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिससे उसे बांध में जल स्तर को 136 फीट के अपने पहले के भंडारण स्तर से 142 फीट तक बढ़ाने की अनुमति मिली थी।
2012 में, सुप्रीम कोर्ट की अधिकार प्राप्त समिति ने कहा था कि मुल्लापेरियार बांध संरचनात्मक रूप से सुरक्षित है।
2006 में भी, शीर्ष अदालत ने कहा था कि केरल तमिलनाडु को बांध में जल स्तर को 142 फीट तक बढ़ाने और मरम्मत कार्य करने से नहीं रोक सकता।
बता दें कि केरल सरकार एक नया बांध बनाना चाहती है, ताकि उसका नियंत्रण उसी के पास रहे।
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Source : IANS