जम्मू एवं कश्मीर परिसीमन आयोग ने जम्मू क्षेत्र के लिए छह अतिरिक्त सीटों का प्रस्ताव किया है, जबकि कश्मीर घाटी के लिए एक और विधानसभा सीट का प्रस्ताव किया गया है। सूत्रों ने सोमवार को यहां यह जानकारी दी।
सूत्रों ने यह भी बताया कि आयोग सोमवार को हुई बैठक में अपने पांच सहयोगी सदस्यों के साथ चर्चा के बाद और सीटें जोड़ने के प्रस्ताव पर पहुंचा है।
सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाले आयोग ने परामर्श के लिए जम्मू-कश्मीर के पांच लोकसभा सदस्यों के साथ बैठक की और उन्हें इस साल 31 दिसंबर तक प्रस्ताव का जवाब देने को कहा गया।
पांच सहयोगी सदस्य- केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, भाजपा से जुगल किशोर, नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी और मोहम्मद अकबर लोन ने बैठक में भाग लिया।
सूत्रों ने आगे कहा कि आयोग ने पहली बार अनुसूचित जनजाति के लिए नौ सीटें और यूटी में अनुसूचित जाति के लिए सात सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव दिया है। सूत्रों ने आगे कहा कि पहले एसटी और एससी के लिए कोई आरक्षित सीटें नहीं थीं।
अगर इन सिफारिशों को लागू किया जाता है, तो जम्मू क्षेत्र में 43 सीटें होंगी, जबकि कश्मीर घाटी में 47 सीटें होंगी।
मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी के साथ पैनल के एक पदेन सदस्य हैं, जो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर में जनसंख्या में भारी वृद्धि के बाद उम्मीदवारों को उचित अवसर देने के उद्देश्य से विधानसभा सीटों के पुनर्गठन में अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
बता दें कि 5 अगस्त, 2019 को तत्कालीन राज्य जम्मू एवं कश्मीर से अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा रद्द किए जाने के बाद केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा और संसद की सीटों को फिर से तैयार करने के लिए 6 मार्च, 2020 को एक विशेष परिसीमन आयोग का गठन किया गया था।
आयोग ने जुलाई में जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों, प्रशासकों और नागरिक समाज समूहों के कई नेताओं से मुलाकात की और यह अभ्यास 2011 की जनगणना के आधार पर किया जा रहा है।
मुख्य उद्देश्य जनसंख्या के समान वर्गों को समान प्रतिनिधित्व देने के लिए एक परिसीमन आयोग की स्थापना करना है, ताकि भौगोलिक क्षेत्रों का उचित विभाजन सुनिश्चित किया जा सके ताकि सभी राजनीतिक दलों या चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के पास मतदाताओं की संख्या के मामले में समान अवसर सुनिश्चित हो सके।
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Source : IANS