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सरदार पटेल की जयंती पर विशेष : जानिए 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' के पीछे का इतिहास

देश में 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती को एकता दिवस के रूप में व्यापक स्तर पर मनाया जा रहा है. पटेल ने 562 रियासतों का न सिर्फ विलय करवाया बल्कि उस दौरान जूनागढ़ और हैदराबाद को भी विलय करवाया.

Updated on: 31 Oct 2021, 08:09 AM

highlights

  • सरदार बल्लभभाई पटेल ने 542 रियासतों का विलय करवाया
  • पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को ग्राम करमसद में हुआ था
  • 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान तीन साल की कैद हुई थी

नई दिल्ली:

देश में 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती को एकता दिवस के रूप में व्यापक स्तर पर मनाया जा रहा है. पटेल ने 562 रियासतों का न सिर्फ विलय करवाया बल्कि उस दौरान जूनागढ़ और हैदराबाद को भी विलय करवाया. उन्हीं का प्रयास था कि यह दोनों आज भारत का हिस्सा हैं. भारत कई सहस्राब्दियों से एक समान सभ्यता की पहचान वाला भूमि रहा है. स्वतंत्रता से पहले भारत में 560 से अधिक रियासतों और कई औपनिवेशिक शक्तियों द्वारा प्रशासित क्षेत्र शामिल थे. वर्ष 1947 का पहला भाग यानी छह महीने पहले तक भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अवधि थी. इस दौरान औपनिवेशिक शासन का अंत निश्चित था और भारत का विभाजन भी, लेकिन रियासतों के अधीन क्षेत्रों के राजनीतिक एकीकरण पर कोई स्पष्टता नहीं थी.

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उस दौरान भारत और पाकिस्तान के प्रभुत्व में देश के विभाजन ने उन रियासतों को शांतिपूर्वक विलय करने का महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया गया जो आकार, जनसंख्या, भूभाग या आर्थिक स्थिति में काफी अधिक विभिन्नताएं थी. इसलिए सरदार वल्लभ भाई पटेल के सामने चुनौती आसान नहीं थी. एक भारत के निर्माता के रूप में लौह पुरुष ने जमीनी हकीकत को समझा और देशी रियासतों को एक करने का बहुत बड़ा कार्य अपने हाथ में लिया. इसने एक आधुनिक राष्ट्र राज्य के निर्माण के लिए बीज तैयार किया. उनकी कोशिश यही रही कि जहां तक संभव हो भारत की राजनीतिक सीमाओं के साथ-साथ अपनी सभ्यता की सीमाओं के साथ मिलाना.

पटेल ने देश को एकजुट करने के महत्व को समझा

सरदार पटेल ने देश को एकजुट करने के महत्व को समझा और इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि एकता के बिना एक स्थायी राज्य का होना असंभव होगा. वर्ष 2014 से भारत सरदार पटेल के जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मना रहा है. यह दिन न केवल राष्ट्र के लिए उनके महत्वपूर्ण योगदान और सेवा को मान्यता देता है बल्कि यह उनकी विरासत से भी जुड़ा है.  अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और नागरिकता संशोधन अधिनियम सहित कई नीति निर्माण और कानून सरदार पटेल से प्रेरणा लेकर प्रेरित हो चुके हैं. यह हमें सरदार पटेल जैसे महान व्यक्तित्व के योगदान पर विचार करने का अवसर भी देता है, जो उस समय के एक प्रमुख परिवार से संबंधित नहीं थे.

1991 में भारत रत्न से सम्मानित

कहा जाता है कि एक यदि कांग्रेस पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र होता तो सरदार पटेल भारत के पहले प्रधानमंत्री हो सकते थे.  उनके निधन के बाद 1991 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित होने में चार दशक से अधिक समय लगा. 31 अक्टूबर, 2015 को सरदार वल्लभभाई पटेल की 140वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक भारत श्रेष्ठ भारत का शुभारंभ किया. सरदार की जयंती से पहले मन की बात कार्यक्रम के दौरान संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की थी कि "सरदार पटेल ने हमें एक भारत दिया और अब यह 125 करोड़ भारतीयों का एकमात्र कर्तव्य है कि वे सामूहिक रूप से श्रेष्ठ भारत बनाएं."

कौन थे लौहपुरुष
महान लौहपुरूष सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को ग्राम करमसद में हुआ था. इनके पिता झबेरभाई पटेल थे जिन्होंने 1857 में रानी झांसी के समर्थन में युद्ध किया था. इनकी मां का नाम लाडोबाई था. इनके पिता बहुत ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे. पटेल की प्रारंभिक पढ़ाई गांव के ही एक स्कूल में हुई. आगे की पढ़ाई के लिए वह पेटलाद गांव के स्कूल में भर्ती हुए. यह उनके मूल गांव से छह से सात किलोमीटर की दूरी पर था. वल्लभभाई पटेल को बचपन से ही पढ़ने लिखने का बहुत शौक था. वल्लभ भाई की हाईस्कूल की शिक्षा उनके ननिहाल में हुई.  उनके जीवन का वास्तविक विकास ननिहाल से ही प्रारम्भ हुआ था.