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रेलवे की विशेष पहल, देश की आधी आबादी के जिम्मे दी पूरी ट्रेन

अंजूलता का कहना है कि वैसे तो वह कई सालों से इस जिम्मेदारी को बखूबी संभाल रही है लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि पूरी ट्रेन की कमान आज महिला हाथों में है

Updated on: 08 Mar 2020, 11:25 AM

नई दिल्ली:

पूर्वोत्तर रेलवे ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International women's day) मनाने की विशेष पहल की है. आज यानी रविवार को आधी आबादी के जिम्मे पूरी ट्रेन दे दी गयी है. गोरखपुर से नौतनवा तक चलने वाली इस ट्रेन में लोको पायलट, सहायक लोको पायलट, गार्ड, कोच कंडक्टर, टिकट निरीक्षक, टिकट परीक्षक, कोच अटेंडेंट, सफाईकर्मी और सुरक्षाकर्मी महिलाएं ही हैं. इस ट्रेन में सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली आरपीएफ इंस्पेक्टर अंजू लता आज काफी खुश नजर आ रही हैं. अपनी टीम की महिला सुरक्षाकर्मियों के साथ आज इस पूरे ट्रेन में सुरक्षा संभाल रही है. अंजूलता का कहना है कि वैसे तो वह कई सालों से इस जिम्मेदारी को बखूबी संभाल रही है लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि पूरी ट्रेन की कमान आज महिला हाथों में है. वह लोग ट्रेनों में अकेले सफर करने वाले महिलाओं की सुरक्षा पर सबसे ज्यादा जोर देती हैं.

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इस ट्रेन के संचालन से लेकर सिग्नल, टिकट, सुरक्षा और स्वच्छता की जिम्मेदारी महिला कर्मियों के हाथों में ही है. मतलब लोको पायलट, सहायक लोको पायलट, गार्ड, कोच कंडक्टर, टिकट निरीक्षक, टिकट परीक्षक, कोच अटेंडेंट, सफाईकर्मी और सुरक्षाकर्मी महिलाएं ही हैं. वैसे तो यह सभी महिलाएं अलग-अलग ट्रेनों में हर रोज अपनी ड्यूटी निभाती थी लेकिन उसमें पुरुष सहायक जरूर इनके साथ हुआ करते थे लेकिन आज ऐसा पहली बार हुआ है कि उनके कंधों पर ट्रेन की पूरी जिम्मेदारी रेलवे ने दे दी है.

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गोरखपुर स्टेशन से चली यह ट्रेन सुबह 8 बजे गोरखपुर से रवाना होकर शाम तक वापस आ जाती है. इस ट्रेन में यात्रा करने वाली महिलाएं और युवतियां आज इस विशेष ट्रेन को देखकर काफी खुश है. इनका कहना है कि महिलाओं की इतनी बड़ी जिम्मेदारी देखकर उनको इनसे प्रेरणा मिल रही है और इन महिलाओं को पूरी ट्रेन चलाते हुए देखकर इनका भी मन अब इस फील्ड में आने को कर रहा है. महिला यात्रियों का कहना है कि सिर्फ आज महिला दिवस पर ही नहीं बल्कि हमेशा महिलाओं के द्वारा पूरी ट्रेन का संचालन इसी तरह से करते रहना चाहिए.

ट्रेनों में अक्सर इन महिलाओं का पाला ऐसे लोगों से बढ़ता है जो बिना टिकट यात्रा करते हैं या फिर जबरन यात्रियों से उलझते हैं. ऐसे लोगों को समझाना और सकुशल यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने की जिम्मेदारी इनके कंधों पर है जिसे यह बाखूबी निभा रही हैं और यह संदेश दे रही हैं कि महिलाएं किसी से कम नहीं है.