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Akhilesh Yadav (फाइल फोटो)
इस साल लोकसभा चुनाव होने वाले है और सभी राजनीतिक पार्टियां इसकी रणनीति बनानें में जुट गई है. बीजेपी भी अल्पसंख्यक महिलाओं के वोट साधने में जुटी गई है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने बड़ा पासा फेंकते हुए ट्रिपल तलाक कानून पर एक बार फिर अध्यादेश लाने का फैसला किया है. शीतकालीन सत्र और बजट सत्र में इस बिल को राज्यसभा से पास नहीं करा पाने के बाद यह तीसरी बार है जब ट्रिपल तलाक पर मोदी सरकार अध्यादेश ला रही है. जिसके बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर फिर से अध्यादेश लाने को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है.
अखिलेश यादव ने मोदी सरकरा पर हमला बोलते हुए कहा है, 'अध्यादेश के माध्यम से गहरा सामाजिक परिवर्तन असम्भव है. लेकिन विश्वविद्यालयों से ले कर संसद तक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ क़ानून को हथियार बनाया जा रहा है. सम्मान की राजनीति ही देश को प्रगतिशील बना सकती है.'
अध्यादेश के माध्यम से गहरा सामाजिक परिवर्तन असम्भव है। लेकिन विश्वविद्यालयों से ले कर संसद तक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ क़ानून को हथियार बनाया जा रहा है। सम्मान की राजनीति ही देश को प्रगतिशील बना सकती है।#TeenTalaq
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) February 20, 2019
दरअसल संसद के हर सत्र में संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में विपक्ष ट्रिपल तलाक कानून बिल का जबरदस्त विरोध करता है जिसकी वजह से यह अब तक पास नहीं हो पाया है.
विपक्ष की मांग है कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2018 को सेलेक्ट कमिटी को भेजा जाए. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी तीन तलाक से संबंधित विधेयक के महिला विरोधी होने का आरोप लगाया है.