राम मंदिर का इंतजार काफी समय से किया जा रहा था. 5 अगस्त को भूमि पूजन के बाद करोड़ों हिंदुओं का इंतजार खत्म हुआ. लेकिन इस बीच समाजवादी पार्टी के नेता लोटन राम निषाद ने भगवान राम पर विवादित टिप्पणी की. उन्होंने राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि राम का मंदिर बने या श्रीकृष्ण का, मुझे मंदिर से कोई लेना देना नहीं. लेकिन लोटन राम निषाद ये कहता है कि राम के प्रति मेरी आस्था नहीं हैं. ये मेरा व्यक्तिगत विचार है. मेरी अगर आस्था है तो बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर के संविधान में, कर्पूरी ठाकुर में, छत्रपति शाहू जी महाराज में, जिनसे हमें बोलने का, लिखने का, कुर्सी पर बैठने का अधिकार संविधान से मिला है. इसलिए जिनसे मुझे डायरेक्ट लाभ हुआ है. मैं उन्हें जानता हूं. राम थे या नहीं मैं उनके अस्तित्व पर भी प्रश्नचिन्ह लगाता हूं.
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राम एक स्टोरी के पात्र हैं
उन्होंने कहा कि राम एक काल्पनिक पात्र थे. जैसे फिल्म की स्टोरी बनाई जाती है. उसी तरह राम एक स्टोरी के पात्र हैं. इसलिए राम का कोई अस्तित्व नहीं है. संविधान भी ये कहता है कि राम कोई नायक पैदा नहीं हुए थे. भारत में राम नाम का कोई व्यक्ति पैदा ही नहीं हुआ. इसके बाद सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि यह बयान लोटन राम का व्यक्तिगत है. उन्होंने कहा कि हम तो राम को भी मानते हैं और हनुमान को भी मानते हैं. जब लखीमपुर खीरी में बच्ची के साथ अन्याय होता है तब बीजेपी के नेता मुद्दा क्यों नहीं उठाते हैं. इतनी देर से मैं बोल रहा हूं महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है तो उस पर आप नहीं बोल रहे हैं. आप देवियों का सम्मान नहीं करेंगे, उन पर अत्याचार हो रहा है.