SP-BSP के बीच एक सप्ताह में तय हो जाएंगी सीटें, साझा चुनाव अभियान की रूपरेखा की भी होगी घोषणा

गठबंधन की रूपरेखा से जुड़े SP के सूत्रों ने शनिवार को बताया कि दोनों दलों के बीच बंटवारे वाली सीटों पर आपसी सहमति लगभग बन गयी है.

गठबंधन की रूपरेखा से जुड़े SP के सूत्रों ने शनिवार को बताया कि दोनों दलों के बीच बंटवारे वाली सीटों पर आपसी सहमति लगभग बन गयी है.

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Deepak Kumar
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SP-BSP के बीच एक सप्ताह में तय हो जाएंगी सीटें, साझा चुनाव अभियान की रूपरेखा की भी होगी घोषणा

SP-BSP के बीच एक सप्ताह में तय हो जाएंगी सीटें

उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों के लिये SP BSP गठबंधन की शनिवार को औपचारिक घोषणा के बाद अब दोनों दलों की प्रमुखता यह तय करना है कि कौन कहां से चुनाव लड़ेगा. जानकारी के मुताबिक अगले एक सप्ताह के भीतर यह तय कर लिया जाएगा कि किस सीट से किसे चुनाव लड़ना है. इस दौरान दोनों दल साझा चुनाव अभियान की रूपरेखा भी तय कर लेंगे. गठबंधन की रूपरेखा से जुड़े SP के सूत्रों ने शनिवार को बताया कि दोनों दलों के बीच बंटवारे वाली सीटों पर आपसी सहमति लगभग बन गयी है. इसकी सार्वजनिक घोषणा BSP प्रमुख मायावती के 15 जनवरी को जन्मदिन के मौके पर या अगले एक दो दिनों में ही कर दी जायेगी. जिससे कि पार्टी कार्यकर्ता समय रहते चुनावी तैयारियों में जुट सकें.

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पार्टी सूत्रों के मुताबिक प्रचार अभियान का आग़ाज़ अखिलेश और मायावती की उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में साझा रैलियों से होगा. BSP के एक वरिष्ठ नेता ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इसकी शुरुआत लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी और प्रयाग सहित अन्य प्रमुख शहरों से होगी.

उन्होंने बताया कि दोनों दलों का शीर्ष नेतृत्व चुनाव प्रचार अभियान को जल्द अंतिम रूप देकर रैलियों की जगह और समय का निर्धारण करेंगे. गठबंधन में RLD की सीटों को लेकर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं होने के बारे में SP के एक नेता ने बताया कि कांग्रेस के लिये छोड़ी गयी दो सीटों के अलावा RLD के लिये फिलहाल दो सीट छोड़ गयी है लेकिन यह अंतिम आंकड़ा नहीं है.

RLD नेताओं के साथ बातचीत और जमीनी वास्तविकता को ध्यान में रखते हुये SP-BSP अपने कोटे की अधिकतम एक या दो सीट छोड़ने पर विचार कर सकते हैं. उल्लेखनीय है कि लखनऊ में शनिवार को अखिलेश और मायावती ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन कर SP BSP गठबंधन की औपचारिक घोषणा की.

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इस दौरान मायावती ने गठबंधन से कांग्रेस को अलग रखने की जानकारी देते हुये इस बात का स्पष्ट संकेत दिया कि यह फैसला सोची समझी रणनीति के तहत भाजपा के पक्ष में कांग्रेस के मतों का ध्रुवीकरण रोकने के लिये किया गया है.

Source : News Nation Bureau

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