सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि जम्मू-कश्मीर राज्य भारत के संविधान के दायरे के बाहर नहीं है और भारत के संविधान के बाहर कोई संप्रभुता नहीं मिली है।
एक अंग्रेज़ी अखबार में छपी खबर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की राय को खारिज़ करते हुए ये टिप्पणी की है।
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस कुरियन जोसफ और आर नरीमन की बेंच ने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के उस दृष्टिकोण को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने कहा था कि जम्मू-कश्मीर राज्य का संविधान भारत के संविधान के बराबर है। 1957 के जम्मू-कश्मीर राज्य के संविधान के प्रस्तावना का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "इससे साफ है कि जम्मू-कश्मीर के पास भारतीय संविधान से अलग संप्रभुता नहीं मिली है। इसका अपना संविधान भी भारत के संविधान के तहत है। इस राज्य के लोग पहले भारत के संविधान के तहत होते हैं और फिर जम्मू-कश्मीर के संविधान के तहत शासित होते हैं।"
पिछले साल जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने कहा था, 'महाराजा के साथ कश्मीर के विलय के बाद भी कश्मीर की संप्रभुता अक्षुण्ण थी।
सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि भारतीय संविधान के बाहर जम्मू-कश्मीर को कोई भी शक्ति नहीं दी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस तरह से विचार रखने के लिए इसलिए मजबूर हुई है क्योंकि हाई कोर्ट ने के फैसले में संप्रभुता का जिक्र इस तरह से किया है, जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं है।
अदालत की बेंच ने इस बात का भी जिक्र किया कि भारतीय संविधान और जम्मू-कश्मीर के संविधान में कोई टकराव नहीं है। कोर्ट ने कहा, 'ये ज़रूरी है कि जम्मू-कश्मीर के संविधान के सेक्शन 3 से यह साफ होता है कि जम्मू-कश्मीर राज्य भारतीय संघ का अभिन्न हिस्सा है और इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।'
Source : News Nation Bureau