logo-image

कृषि कानून की वापसी पर बोलीं सोनिया गांधी- तानाशाह शासकों का अहंकार हारा

तीनों कृषि कानूनों की वापसी को लेकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि किसानों का बलिदान रंग लाया है. किसानों के संघषों और इच्छाशक्ति की जीत हुई है. सत्य, न्याय और अहिंसा की जीत हुई है.

Updated on: 19 Nov 2021, 06:18 PM

नई दिल्ली:

तीनों कृषि कानूनों की वापसी को लेकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि किसानों का बलिदान रंग लाया है. किसानों के संघषों और इच्छाशक्ति की जीत हुई है. सत्य, न्याय और अहिंसा की जीत हुई है. उन्होंने कहा कि आज सत्ता में बैठे लोगों द्वारा किसानों और मजदूरों के खिलाफ रची गई साजिश हार गई है और तानाशाह शासकों का अहंकार भी. आज रोजी-रोटी और खेती पर हमला करने की साजिश को परास्त कर दिया गया है. आज अन्नदाता की जीत हुई है.

यह भी पढ़ें : Farm Laws : पूर्व कृषि मंत्री ने PM मोदी के फैसले पर ली चुटकी

सोनिया गांधी ने कहा कि आज 700 से अधिक किसान परिवारों, जिनके सदस्यों ने न्याय के लिए इस संघर्ष में अपने प्राणों की आहुति दी का बलिदान आज रंग लाया है. आज सत्य, न्याय और अहिंसा की जीत हुई है. लोकतंत्र में कोई भी निर्णय प्रत्येक हितधारक से बातचीत और विपक्ष के साथ विचार-विमर्श के बाद लिया जाना चाहिए. मुझे उम्मीद है कि मोदी सरकार ने भविष्य के लिए कम से कम कुछ तो सीखा होगा.

आपको बता दें कि पिछले करीब एक साल से केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए विवादास्पद तीन कृषि कानूनों को लेकर देश में एक बड़ा मुद्दा बना हुआ था. हालांकि अब केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को हल करते हुए किसानों को बड़ी राहत दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को घोषणा की कि केंद्र ने तीन कृषि कानूनों को रद्द करने का फैसला किया है.

यह भी पढ़ें : 7 वर्षों में हमने सरकार को दिल्ली के बंद कमरों से बाहर निकाला: PM मोदी

गुरु नानक जयंती के शुभ अवसर पर, मोदी ने यह भी घोषणा की कि 29 नवंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया को लिया जाएगा और आंदोलनकारी किसानों से अपना आंदोलन वापस लेने और वापस उनके घर लौट जाने की अपील की.

पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में माफी मांगते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि कुछ किसान अभी भी हमारे ईमानदार प्रयासों से आश्वस्त नहीं हैं. हमने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला किया है. इन कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया संसद सत्र के दौरान पूरी हो जाएगी जो इस महीने के अंत में शुरू होगी.