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मॉनसून सत्र के पहले चरण में हिस्सा नहीं लेंगे राहुल और सोनिया, इलाज के लिए विदेश रवाना

सोनिया गांधी के इलाज के लिए राहुल गांधी उन्हें लेकर विदेश के लिए रवाना हो चुके हैं. राहुल गांधी तो अगले सप्ताह तक वापस लौट सकते हैं लेकिन सोनिया गांधी को वापस आने में देरी हो सकती है.

Updated on: 12 Sep 2020, 11:57 PM

नई दिल्‍ली:

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी मॉनसून सत्र के पहले चरण में हिस्सा नहीं ले पाएंगे. सोनिया गांधी के इलाज के लिए राहुल गांधी उन्हें लेकर विदेश के लिए रवाना हो चुके हैं. राहुल गांधी तो अगले सप्ताह तक वापस लौट सकते हैं लेकिन सोनिया गांधी को वापस आने में देरी हो सकती है. मीडिया में आईं खबरों के मुताबिक सोनिया गांधी ने संसदीय रणनीति समूह के साथ बैठक की है, जिसमें उन मुख्य मुद्दों को उठाया है जो राष्ट्र को प्रभावित कर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने दोनों सदनों में बेहतर समन्वय के लिए स्पष्ट निर्देश दिए हैं.

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजे वाला ने ट्वीटकर इस बात की जानकारी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा की है. उन्होंने ट्वीटर पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के इस दौरे के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि, कांग्रेस अध्यक्ष, श्रीमती सोनिया गांधी आज एक रूटीन फॉलोअप और मेडिकल चेक अप के लिए विदेश प्रस्थान कर रही हैं, पूरी दुनिया में फैली महामारी की वजह से पिछले कई महीनों से वो इस यात्रा को स्थगित कर रहीं थीं. उनके साथ उनके पुत्र राहुल गांधी भी जा रहे हैं. 

वहीं सुरजेवाला ने शनिवार को मोदी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि पांच जून को अध्यादेश के जरिए भाजपा ने तीन केंद्रीय कानूनों को प्रवर्तित कर दिया. कांग्रेस ने कहा कि भाजपा किसानों को गुलाम बनाने के लिए 'ईस्ट इंडिया कंपनी' की तरह व्यवहार कर रही है. एक वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए, कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, पहले मोदी सरकार किसानों का जमीन का अधिग्रहण करने के लिए कानून लेकर आई और अब सरकार किसानों के उत्पाद का अधिग्रहण करने के लिए कानून लेकर आई है.

सुरजेवाला ने कहा कि 5 जून को तीन केंद्रीय कानून को अध्यादेश के जरिए प्रवर्तित कर दिया गया। ये कानून, किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता अध्यादेश, 2020 हैं, जोकि किसानों के लिए एक बड़ा झटका है. उन्होंने आगे कहा, यह कॉरपोरेट्स के ऋण तले किसानों को दबाने की एक साजिश है. यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार अपने कॉरपोरेट दोस्तों के साथ मिलकर ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह व्यवहार कर रही है.