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गुजरात में पुलिसकर्मियों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर रोक, डीजीपी ने जारी किया फरमान

गुजरात में पुलिसकर्मियों के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है. गुजरात के पुलिस महानिदेशक शिवानंद झा ने पुलिस कर्मी को सोशल मीडिया से दूर रहने का फरमान सुनाया है.

Updated on: 22 Jul 2020, 09:49 AM

नई दिल्ली:

गुजरात (Gujarat) में पुलिसकर्मियों के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है. गुजरात के पुलिस महानिदेशक शिवानंद झा ने पुलिस कर्मी को सोशल मीडिया से दूर रहने का फरमान सुनाया है. इस संबंध में आचार संहिता जारी की गई है. पिछले कुछ दिनों से पुलिस कर्मियों के तनख्वाह ग्रेड को लेकर सोशल मीडिया में चल रहे ट्रेंड को देखते हुए गुजरात के डीजी शिवानंद झा ने पुलिस कर्मियों को सोशल मीडिया (Social media) से दूर रहने की हिदायत दी है. डीजी झा ने कहा कि पुलिस की नौकरी अन्य नौकरियों से अलग है अगर किसी को पगार की चिंता है तो वो पुलिस में न आए. उन्होंने साफ कहा कि पुलिस की साख पर बट्टा न लगे इसका ध्यान रखें. उन्होंने सोशल मीडिया में कोई भी इस तरह की टिप्पणी पर सख्त कार्रवाई की बात भी कही है.

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नए नियमों के मुताबिक, पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को सोशल मीडिया पर किसी भी तरह की राजनीतिक टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. इसमें कहा गया कि वे ऐसे किसी समूह या मंच का हिस्सा नहीं हो सकते जिसका गठन धर्म जाति, नस्ल या उपजाति के आंदोलन या इसे बढ़ावा देने के मकसद से किया गया है. खुफिया अधिकारियों को इससे छूट दी गई है, लेकिन इसके लिए उन्हें पहले अपने वरिष्ठ अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी. आचार संहिता में कहा गया है कि सरकार या सेवा मामलों में पुलिस बल की आलोचना वाला कोई पोस्ट सोशल मीडिया मंच पर नहीं डालनी चाहिए.

इसी तरह सेवा संबंधी मामलों के बारे में कोई शिकायत ऑनलाइन स्तर पर जाहिर नहीं करनी चाहिए और पुलिस कर्मियों को अपने निजी विचार भी व्यक्त करने से रोका गया है. अधिकारियों समेत पुलिसकर्मियों को सलाह दी गई है कि सोशल मीडिया से जुड़ाव के लिए इंटरनेट जैसे सरकारी संसाधन का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. ड्यूटी के दौरान वे सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं कर सकते.

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निर्देश में कहा गया है कि अगर कोई पुलिसकर्मी निजी उद्देश्य के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करता है तो उसे स्पष्ट करना होगा कि वह निजी हैसियत से ऐसा कर रहा है और गुजरात पुलिस विभाग के कर्मी के तौर पर नहीं. आचार संहिता में पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को सोशल मीडिया पर शिष्ट भाषा का इस्तेमाल करने और धौंस जमाने या लोगों को परेशान नहीं करने की हिदायत दी गई है. डीजीपी झा ने आगाह किया है कि नियमों का पालन नहीं होने पर कानूनी और विभागीय कार्रवाई की जाएगी.

डीजीपी शिवानंद झा द्वारा इस संबंध में जारी 'आचार संहिता' के तहत पुलिस कर्मियों और अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि इंटरनेट पर अपनी राजनीतिक राय व्यक्त नहीं करें और सरकार विरोधी किसी भी मुहिम से दूर रहें. राज्य में पुलिसकर्मियों का वेतन बढ़ाने के लिए ऑनलाइन अभियान की पृष्ठभूमि में यह सख्त दिशा-निर्देश जारी किया गया है. इस अभियान को फेसबुक और ट्विटर जैसे मंचों पर बड़ी प्रतिक्रिया मिली है. मौजूदा कानून के तहत सरकार के खिलाफ किसी भी सामग्री के छापने या प्रकाशन को लेकर पुलिस कर्मियों पर पाबंदी है, लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल के संबंध में विस्तृत आचार संहिता जारी की गई है.

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डीजीपी झा ने मंगलवार को बताया कि वेतन वृद्धि के लिए हिंसक आंदोलन में भागीदारी को लेकर पुलिसकर्मियों को गुमराह करने के संबंध में गांधीनगर में तीन लोगों के विरूद्ध मामला दर्ज किया गया. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'ऐसे समय में जब राज्य और पुलिस बल कोरोना वायरस महामारी से निपटने में जुटे हुए हैं, पुलिसकर्मियों को गुमराह करने के आरोप में तीन लोगों को हिरासत में लिया गया.' शीर्ष पुलिस अधिकारी ने बताया कि पूछताछ के बाद तीनों लोगों - कमलेश सोलंकी, भोजाभाई भारवाड़ और हसमुख सक्सेना को गिरफ्तार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन स्तर पर इस तरह का अभियान चलाने के लिए जिम्मेदार लोगों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी.