केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान कोविड-19 महामारी और आंदोलन के अपने अधिकार के बीच फंसे हुए हैं. हालांकि, उनका कहना है कि बीमारी की चपेट में आने का डर उन्हें उनकी लड़ाई से नहीं भटका सकता. टीकरी बॉर्डर पर जमा हजारों किसानों में से अधिकतर कोविड-19 से बचाव के लिये मास्क पहनने जैसी बुनियादी ऐहतियात बरतते हुए दिखाई नहीं दे रहे है.
पंजाब के बठिंडा के किसान गगनदीप सिंह ने कहा कि सरकार पहले ही इन कानूनों के जरिये हमारी गर्दनों में फंदे डाल चुकी है... हमें कोरोना वायरस के डर से कोई फर्क नहीं पड़ता. सिंह बीते 10 दिन से दिल्ली-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शन कर रहे हैं. बीते 12 दिन से प्रदर्शन कर रहे किसान तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं. सफेद लंबी दाढ़ी वाले गुरवसन सिंह ने कहा कि उन्हें इस बीमारी का डर नहीं है, जिससे देश में 1.4 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
उन्होंने कहा कि हम अपने अधिकार खो रहे हैं. हमारे पास कोरोना वायरस के बारे में चिंता करने का वक्त नहीं है. दिल्ली के उत्तम नगर के निवासी सचिन कुमार के अनुसार किसानों की मांगे सुनने से सरकार का इनकार यह साबित करता है कि वह प्रदर्शन को खत्म करने के लिये वायरस का डर पैदा कर रही है. कुमार के परिवार की उत्तर प्रदेश में जमीन है. वह हंसते हुए कहते हैं कि ऐसा लगता है कि वायरस खासतौर पर हमें नहीं छोड़ेगा.
उन्होंने कहा कि कैमरे पर जो दिखाया जा रहा है, सच्चाई उससे अलग है. गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने 40 प्रदर्शनकारी किसान संघों के साथ बुधवार को प्रस्तावित छठे दौर की महत्वपूर्ण बैठक को रद्द कर दिया है, क्योंकि किसान नेताओं ने मंगलवार रात गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक बेनतीजा रहने के बाद इस बैठक में भाग लेने से इनकार कर दिया था.
Source : News Nation Bureau