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महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, साल भर की चुनौतियां (पार्ट-1)

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, साल भर की चुनौतियां (पार्ट-1)

Updated on: 29 Dec 2021, 08:35 PM

नई दिल्ली:

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से किये गए पिछले एक साल 2020-2021 में काम के लेखा-जोखा पर चर्चा की जाए तो कई ऐसी काम रहे जिनको देश की जनता की ओर से हाथों-हाथ लिया गया और कई विवादों में आ गए। हालांकि आगामी साल को लेकर मंत्रालय बेहद आश्वस्त है।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर सुझाए गए और इसे कानून बनाया हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 के तहत गोद लिए गए बच्चों के लिए दत्तक ग्रहण प्रक्रिया का सरलीकरण उन व्यक्तियों द्वारा जो बच्चे को विदेश में स्थानांतरित करना चाहते हैं। मंत्रालय के इस कदम को हाथों हाथ लिया गया। वहीं महिलाओं की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने के लिए बाल विवाह निषेध (संशोधन) अधिनियम, 2021 लोकसभा में पेश जाने पर कई विपक्षी दलों और समाजसेवियों की तरफ से सवाल भी उठाए गए।

मंत्रालय की से प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले एक साल में जन्म के समय लिंग अनुपात (एसआरबी) में राष्ट्रीय स्तर पर 19 अंकों का सुधार, 2014-15 में 918 से 2020-21 में 937 हुआ।

पूरक पोषण की वास्तविक समय निगरानी सुनिश्चित करने के लिए पोशण ट्रैकर लॉन्च किया गया।

गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना योजना के तहत 2 करोड़ से अधिक लाभार्थी लाभान्वित कोविड महामारी के कारण अनाथ बच्चों की सहायता के लिए लाभार्थियों के पंजीकरण और पहचान के लिए पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना के लिए वेब पोर्टल शुरू किया गया।

वन स्टॉप सेंटर योजना के तहत 54 लाख से अधिक महिलाओं ने सहायता प्रदान की।

रेलवे स्टेशनों के अलावा बस स्टैंडों पर चाइल्ड लाइन (1098) सेवाएं शुरू की गई।

महिलाओं और बच्चों के बीच कुपोषण को दूर करने के लिए पूरक पोषण कार्यक्रम के तहत राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को 100 फीसदी फोर्टिफाइड।

चावल वितरित करने का निर्णय अधिनियम के तहत कार्यान्वयन और निगरानी तंत्र को मजबूत करने के लिए किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम में संशोधन।

भारत के पंजीकृत प्रवासी नागरिकों को गोद लेने के मामले में अनिवासी भारतीयों के साथ समानता प्रदान की।

महिलाओं और बच्चों के विकास, देखभाल और संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने विभिन्न योजनाओं, कानून, प्रक्रियाओं के सरलीकरण, जागरूकता फैलाने और सीखने, पोषण, संस्थागत और विधायी तक पहुंच की सुविधा के तहत पहल के माध्यम से विभिन्न उपाय किए हैं।

महिलाओं और बच्चों को उनकी पूर्ण क्षमता तक बढ़ने, मजबूत करने और विकसित करने में सक्षम बनाने के लिए समर्थन।

महिलाओं की शादी की उम्र : बाल विवाह निषेध (संशोधन) अधिनियम, 2021 पर विधेयक 21.12.2021 को लोकसभा में महिलाओं की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने के लिए पेश किया गया।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ : यह योजना पूरे भारत में लागू की जा रही है और देश भर में 640 जिलों (जनगणना 2011 के अनुसार) को कवर किया जा रहा है। 640 जिलों में से, 405 जिले बहु-क्षेत्रीय हस्तक्षेप के साथ-साथ मीडिया एडवोकेसी के तहत डीएम व डीसी के प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण के तहत कवर किए गए हैं और सभी 640 जिलों को वकालत और मीडिया अभियान के माध्यम से कवर किया गया है। इस योजना ने बालिकाओं के महत्व के प्रति राष्ट्र की मानसिकता को बदलने की दिशा में सामूहिक चेतना को जगाया है। यह जन्म के समय लिंग अनुपात (एसआरबी) में राष्ट्रीय स्तर पर 19 अंकों के सुधार में परिलक्षित होता है, 2014-15 में 918 से 2020-21 में 937 (एमएच एंड एफडब्ल्यू का एचएमआईएस)।

पोषण ट्रैकर : महिलाओं और बच्चों की पोषण स्थिति को बढ़ावा देने के लिए, एक पारदर्शी और सक्षम वातावरण बनाया जा रहा है जो स्वास्थ्य, कल्याण और प्रतिरक्षा का पोषण करता है। पूरक पोषण की वास्तविक समय निगरानी सुनिश्चित करने और सेवाओं के त्वरित पर्यवेक्षण और प्रबंधन के लिए जानकारी प्रदान करने के लिए नवीनतम तकनीक पर पोशण ट्रैकर एप्लिकेशन बनाया गया है। 24.12.2021 तक, लगभग 9.85 करोड़ लाभार्थियों को कवर करते हुए, 12.27 लाख आंगनवाड़ी पोषण ट्रैकर पर डेटा अपलोड कर रही हैं।

वन स्टॉप सेंटर: हिंसा से प्रभावित और सहायता की आवश्यकता वाली महिलाओं के लिए, एक छत के नीचे कई एकीकृत सेवाएं प्रदान की जा रही हैं, जिसमें पुलिस की सुविधा, चिकित्सा और कानूनी सहायता और परामर्श और मनो-सामाजिक परामर्श 704 वन स्टॉप सेंटर या सखी के माध्यम से शामिल हैं। 34 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के केंद्र। साथ ही टोल-फ्री महिला हेल्पलाइन (181) के माध्यम से आपातकालीन व गैर-आपातकालीन सहायता प्रदान की जाती है। 24.12.2021 तक, 54 लाख से अधिक महिलाओं को सहायता प्रदान की गई है।

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