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श्रीलंकाई मंत्री भारतीय मछुआरों के कचाथीवु चर्च समारोह में शामिल होने के इच्छुक

श्रीलंकाई मंत्री भारतीय मछुआरों के कचाथीवु चर्च समारोह में शामिल होने के इच्छुक

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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श्रीलंका के मत्स्य पालन मंत्री डगलस देवानंद ने कचाथीवु द्वीप पर होने वाले वार्षिक चर्च समारोह में तमिलनाडु के मछुआरों के शामिल होने की इच्छा जाहिर करते हुए कहा कि वह सरकार से बात कर उस कार्यक्रम में आने वाले भारतीय श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था करेंगे।
देवानंद के मीडिया प्रवक्ता नेल्सन एडिरसिंघे ने आईएएनएस को बताया, भारतीय और श्रीलंकाई मछुआरों के बीच चल रहे तनावपूर्ण संबंधों की पृष्ठभूमि में, मत्स्य मंत्री की राय है कि दोनों देशों के मछुआरों को चर्च कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति देना अच्छा होगा। यह दोनों पक्षों के लिए मुलाकात करने का एक बेहतर मौका होगा।

गौरतलब है कि उत्तरी श्रीलंका और तमिलनाडु के मछुआरे एक-दूसरे पर अपने-अपने क्षेत्रों में अवैध शिकार का आरोप लगाते रहे हैं। कोविड महामारी के बीच, श्रीलंकाई स्वास्थ्य अधिकारियों, कैथोलिक चर्च और सरकारी अधिकारियों ने 30 जनवरी को भारतीय श्रद्धालुओं को आमंत्रित किए बिना चर्च कार्यक्रम के आयोजन का फैसला किया था।

यह कार्यक्रम उत्तरी श्रीलंकाई रोमन कैथोलिक क्षेत्रों जाफना और मैनर में 11-12 मार्च को केवल 500 श्रीलंकाई श्रद्धालुओं की भागीदारी के साथ आयोजित किए जाने का प्रस्ताव है।

हालाँकि भारतीय श्रद्धालुओं और मत्स्य निकायों ने श्रीलंका के इस फैसले का विरोध किया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने शुक्रवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर से अनुरोध किया था कि वे श्रीलंका सरकार से कचाथीवु सेंट एंथोनी चर्च के वार्षिक भोज कार्यक्रम में भारतीय भक्तों की भागीदारी को सक्षम करने का आग्रह करें।

श्री जयशंकर को लिखे पत्र में श्री स्टालिन ने केंद्र से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।

इसमें कहा गया है श्रीलंकाई अधिकारियों की तरफ से अनुमति नहीं दिए जाने से तमिलनाडु राज्य के मछुआरा समुदाय में गहरी निराशा हुई है। मुझे यकीन है कि आपके प्रयासों से दोनों देशों के लोगों के बीच अच्छे संबंध सुनिश्चित होंगे।

उन्होने कहा तमिलनाडु सरकार महोत्सव में भाग लेने के इच्छुक राज्य के भक्तों की सुरक्षित यात्रा की सुविधा प्रदान कर रही है। यह मेरे संज्ञान में आया है कि श्रीलंकाई अधिकारियों द्वारा विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए राज्य के भक्तों को इस वर्ष वार्षिक उत्सव में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई है।

पिछले साल, भारत-श्रीलंका अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा से आधा समुद्री मील की दूरी पर स्थित द्वीप में इस कार्यक्रम को कोविड महामारी के कारण रद्द कर दिया गया था। यह पूजा सहभोज कार्यक्रम दोनों देशों के मछुआरों के लिए एक वार्षिक बैठक स्थल है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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