समय से पहले गर्मी आने की ये थी वजह, एक्सपर्ट ने बताया मानसून का गणित
भारत के मानसून में हर साल बदलाव दर्ज किया जा रहा है. कभी मानसून आगे आता है, तो कभी देर से आ रहा है. कभी मानसून इतना कमजोर होता है कि वो हर तरफ पानी तक नहीं पहुंचा पाता. इन सब चीजों के पीछे बड़ी वजह है क्लाइमेट चेंज.
highlights
- क्लाइमेट चेंज की वजह से मानसून पर असर
- वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के न होने की वजह से इस बार जल्दी आएगा मानसून
- ग्रीनहाउस गैसों को कम करने के लिए उठाने होंगे गंभीर कदम
नई दिल्ली:
भारत के मानसून में हर साल बदलाव दर्ज किया जा रहा है. कभी मानसून आगे आता है, तो कभी देर से आ रहा है. कभी मानसून इतना कमजोर होता है कि वो हर तरफ पानी तक नहीं पहुंचा पाता. इन सब चीजों के पीछे बड़ी वजह है क्लाइमेट चेंज. इस बारे में स्काईमेट वेदर के डॉक्टर महेश पालावत ने बताया कि उत्तर भारत में इतनी तेज गर्मी क्लाइमेट चेंज व ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हो रही है. इस बार मार्च-अप्रैल में जो वेस्टर्न डिस्टरबेंस होती है, वह नहीं था. इसलिए इस बार गर्मी पहले ही आ गई. उन्होंने बताया कि क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग का असर ऐसा है कि हर अगले साल तापमान गर्म होता जा रहा है, ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन को कम नहीं किया तो आने वाले सालों में गर्मी और बढ़ेगी.
दिल्ली में आज और कल धूल भरी आंधी रहेगी. मगर परसों से पाकिस्तान-बलूचिस्तान के इलाकों से जो गर्म शुष्क हवा आएंगी. उससे गर्मी और बढ़ेगी. 22 मई के आसपास थोड़ी राहत जरूर मिलेगी. मॉनसून अंडमान में पहुंच चुका है. केरल में 26 मई के आसपास मानसून आएगा. जून 15 के बाद प्री मानसून बौछारों से थोड़ी राहत मिल सकती है. उन्होंने बताया कि इस बार वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के न होने की वजह से मानसून तय समय से पहले आ रहा है.
ये भी पढ़ें: बढ़ते तापमान पर डराने वाली रिपोर्ट: अब भी नहीं चेते तो पछताएंगे
तेजी से बढ़ रहा भारत के शहरों का औसत तापमान
बता दें कि एक संस्था की तरफ से जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर हम इंसान नहीं चेते, तो पूरी दुनिया के साथ ही हमारा भी वजूद खतरे में पड़ जाएगा. भारत में अगले 50 से 60 सालों औसत तापमान इतना बढ़ जाएगा, मानों हम भट्ठियों में झोंक दिए गए हों. रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ दिनों पहले दिल्ली का तापमान 43 डिग्री सेल्सियस था. जो सामान्य से ज्यादा रहा. और जिस तरह से हम जल-जंगल-जमीन का दोहन कर रहे हैं, उस तरह से अगले 50-60 सालों में ही 47 -48 डिग्री सेल्सियस तापमान दिल्ली का हो जाएगा. मुंबई में भी औसतन इतनी ही बढ़ोतरी होगी. हिमालयी क्षेत्र अभी से ग्लेशियर खो रहे हैं. समुद्री जल स्तर खतरनाक तरीके से बढ़ रहा है. आईलैंड्स डूबेंगे. समंदर के किनारे बसे शहर समंदर में ही समा जाएंगे.
दिल्ली का औसत तापमान काफी बढ़ा
इंटरगवर्नमेंटल पैनल फॉर क्लाइमेट चेंज (IPCC) एआर6 रिपोर्ट के आधार पर लू के अनुमानों को देखें तो राजधानी में 29 अप्रैल 2022 को तापमान 43 डिग्री दर्ज किया गया था. यह अप्रैल के महीने में औसत अधिकतम तापमान से काफी उपर है. 1970-2020 तक अप्रैल के तापमान बताते हैं कि चार सालों के दौरान अधिकतम तापमान 43 डिग्री के ऊपर पहुंच गया. इस तरह की तेज गर्मी का मतलब भारत लंबे समय तक अत्यधिक गर्मी और गर्म हवाओं से जूझता रहेगा.
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