भारतीय संस्कृति में कौशल के महत्व को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को हितधारकों को आत्मनिर्भर भारत लक्ष्य प्राप्त करने के लिए निरंतर स्किल, रिस्किल और अपस्किल का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी का कौशल विकास एक राष्ट्रीय आवश्यकता है और भारत को 75 साल से 100 साल तक आगे ले जाने के लिए आत्मनिर्भर भारत की नींव है।
तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी के कारण फिर से कौशल की भारी मांग को ध्यान में रखते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि इसमें तेजी लाने की आवश्यकता है। उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि हमारे कुशल कर्मचारियों ने हमें चल रहे कोविड महामारी के खिलाफ एक प्रभावी लड़ाई लड़ने में मदद की।
विश्व युवा कौशल दिवस के अवसर पर बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने पिछले छह वर्षो के लाभ को भुनाने के लिए कौशल भारत मिशन को गति देने का आह्वान किया।
मोदी ने कौशल विकास और अपस्किलिंग और समाज की प्रगति को दिए गए महत्व के बीच की कड़ी पर जोर दिया।
उन्होंने विजयदशमी, अक्षय तृतीया और विश्वकर्मा पूजा की परंपराओं पर ध्यान दिया, जहां कौशल और व्यावसायिक उपकरणों की पूजा की जाती है। इन परंपराओं का हवाला देते हुए, प्रधानमंत्री ने बढ़ई, कुम्हार, धातु श्रमिक, स्वच्छता कार्यकर्ता, बागवानी कार्यकर्ता और बुनकरों जैसे कुशल व्यवसायों के लिए उचित सम्मान का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गुलामी की लंबी अवधि के कारण, हमारी सामाजिक और शिक्षा प्रणाली में कौशल का महत्व कम हो गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि शिक्षा हमें बताती है कि क्या करना है, कौशल वास्तविक परिचालन कार्यान्वयन में हमारा मार्गदर्शन करता है, और यह कौशल भारत मिशन का मार्गदर्शक सिद्धांत रहा है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत 1.25 करोड़ से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है।
रोजमर्रा की जिंदगी में कौशल की जरूरत पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लर्निंग, अर्निग की वजह से नहीं रुकना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने बाबासाहेब अम्बेडकर के ²ष्टिकोण का भी उल्लेख करते हुए कहा, उन्होंने कमजोर वर्ग को कुशल बनाने पर बहुत जोर दिया।
मोदी ने कहा कि देश बाबासाहेब के इस दूरदर्शी सपने को स्किल इंडिया मिशन के जरिए पूरा कर रहा है।
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Source : IANS