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मौजूदा माहौल में घाटी में घर वापसी को तैयार नहीं कश्मीरी पंडित

पिछले 27 सालों से विस्थापितों की जिंदगी जी रहे कश्मीरी पंडित अभी भी घाटी में वापस लौटने को तैयार नहीं है। घाटी में पिछले करीब एक साल से आतंकी घटनाओं में फिर से तेजी आई है।

Updated on: 30 Jul 2017, 10:57 PM

highlights

  • पिछले 27 सालों से विस्थापितों की जिंदगी जी रहे कश्मीरी पंडित अभी भी घाटी में वापस लौटने को तैयार नहीं है
  • घाटी में पिछले करीब एक साल से आतंकी घटनाओं में फिर से तेजी आई है

 

नई दिल्ली:

पिछले 27 सालों से विस्थापितों की जिंदगी जी रहे कश्मीरी पंडित अभी भी घाटी में वापस लौटने को तैयार नहीं है। घाटी में पिछले करीब एक साल से आतंकी घटनाओं में फिर से तेजी आई है।

1990 में घाटी में आतंकवाद की वजह से कश्मीरी पंडितों का बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ था। हालांकि मार्च 2015 में जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के गठबंधन की सरकार बनने के बाद पंडितों के बीच घर वापसी की उम्मीद जगी थी।

ऑल स्टेट कश्मीरी पंडित कॉन्फ्रेंस के महासचिव टी के भट्ट ने कहा कि कश्मीर में बढ़ता चरमपंथ और सरकार की उससे निपटने में विफलता हमारे घाटी में वापस लौटने की राह में सबसे बड़ी चुनौती है।

भट्ट ने कहा, 'घाटी में हमारे लिए लौटने के लिए यह सही वक्त नहीं है। अभी तो वहां पुलिसवाले भी सुरक्षित नहीं है। उनकी हत्या हो रही है और हथियार लूटे जा रहे हैं। मौजूदा केंद्र सरकार कश्मीर में फिलहाल कांग्रेस की नीतियों को ही आगे बढ़ा रही है।'

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उन्होंने कहा, 'जिन्हें कश्मीर के एबीसीडी के बारे में कुछ पता नहीं है, उनसे संपर्क किया जा रहा है। जबकि वास्तविक हितधारकों को इस प्रक्रिया से नजरअंदाज किया जा रहा है।'
भट्ट ने इसके साथ ही पीडीपी-बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मौजूदा सरकार पंडितों का भरोसा बहाल करने में विफल रही है।

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