उत्तर प्रदेश सरकार ने 1984 के सिख विरोधी दंगों की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) को 6 महीने आगे बढ़ा दिया है।
एसआईटी ने और समय की मांग की थी और राज्य सरकार ने एसआईटी को मई 2022 तक जांच पूरी करने और गिरफ्तार करने का समय दिया है।
मामलों की जांच लगभग पूरी हो चुकी है। कागजी कार्रवाई के बाद अब सिर्फ आरोपी की गिरफ्तारी बाकी है।
31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कानपुर में सिख विरोधी दंगों में 127 लोग मारे गए थे।
रिपोर्ट दर्ज होने के बाद साक्ष्य और गवाहों के अभाव में कार्रवाई नहीं हो सकी।
एसआईटी ने 80 से ज्यादा आरोपियों की पहचान की है। सत्यापन करने पर पता चला कि केवल 66 आरोपी जीवित हैं।
एसआईटी के पुलिस अधीक्षक बालेंदु भूषण सिंह ने कहा, एक या दो की गवाही लंबित है। अन्य ऑपरेशन पूरे कर लिए गए हैं। कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। हमने एक दर्जन दंगाइयों की पहचान की है जो कई हत्याओं में शामिल थे।
राज्य सरकार ने घातक दंगों की परिस्थितियों की जांच के लिए 5 फरवरी, 2019 को एसआईटी का गठन किया था। शीर्ष अदालत द्वारा अगस्त 2017 में दंगों की एसआईटी जांच की मांग वाली याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी करने के बाद टीम का गठन किया गया था।
चार सदस्यीय एसआईटी का नेतृत्व उत्तर प्रदेश के सेवानिवृत्त डीजीपी अतुल कर रहे हैं। अन्य सदस्य सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश सुभाष चंद्र अग्रवाल और सेवानिवृत्त अतिरिक्त निदेशक (अभियोजन) योगेश्वर कृष्ण श्रीवास्तव हैं। एसपी बालेंदु भूषण सिंह इसके सदस्य सचिव हैं।
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Source : IANS