सुप्रीम कोर्ट ने नागालैंड स्थानीय निकाय चुनाव रद्द करने वाली अधिसूचना पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने नागालैंड स्थानीय निकाय चुनाव रद्द करने वाली अधिसूचना पर रोक लगाई
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नागालैंड में शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के चुनावों को अगले आदेश तक रद्द करने वाली 30 मार्च की अधिसूचना पर रोक लगा दी।याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने जस्टिस एस.के. कौल और ए. अमानुल्लाह की पीठ को सूचित किया कि चुनाव रद्द कर दिए गए हैं।
पीठ ने चुनाव आयोगों और राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) को नोटिस जारी करते हुए अपने आदेश में कहा कि इस अदालत के 14 मार्च, 2023 के आदेश ने स्पष्ट कर दिया था कि चुनाव आयोग या चुनाव आयोग द्वारा कोई भी प्रयास राज्य सरकार का अब स्थानीय चुनावों में छेड़छाड़ करना कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन होगा।
पीठ ने कहा, इस बीच, चुनाव कार्यक्रम रद्द करने के 30 मार्च, 2023 के आदेश पर रोक लगाई जाती है। एक सप्ताह के भीतर जवाब दायर किया जाए। अगली सुनवाइ्र के लिए 17 अप्रैल, 2023 को सूचीबद्ध करें।
याचिकाकर्ताओं - पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज और अन्य ने अधिवक्ता सत्य मित्रा के माध्यम से एक आवेदन दायर कर चुनाव रद्द करने को चुनौती दी और याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत से उसके 14 मार्च के आदेश की अवज्ञा करने के लिए अवमानना कार्रवाई करने का आग्रह किया।
एसईसी ने 30 मार्च को एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें नागालैंड म्यूनिसिपल एक्ट, 2001 के निरस्त होने के मद्देनजर अगले आदेश तक पूर्व में अधिसूचित चुनाव कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया था।
शीर्ष अदालत राज्य में स्थानीय निकायों के चुनावों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसने अपने 14 मार्च के आदेश में उल्लेख किया था कि एसईसी के वकील ने प्रस्तुत किया था कि चुनाव 16 मई को होंगे। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया था कि अब चुनाव कार्यक्रम में गड़बड़ी नहीं की जानी चाहिए और चुनाव प्रक्रिया पूरी की जानी चाहिए।
आवेदन में नागालैंड नगरपालिका (निरसन) अधिनियम, 2023 को अलग करने और केंद्र सरकार को एक निर्देश देने की मांग की गई है कि शांतिपूर्ण चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए चुनाव से पहले नागालैंड में पर्याप्त केंद्रीय बल भेजे जाएं।
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, पर्याप्त केंद्रीय बल के लिए पैरा डी में की गई प्रार्थना के मद्देनजर अन्य प्रार्थनाओं के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया जाए।
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