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भारत को दुश्मन मानने वाला सिराजुद्दीन तालिबानी गृह मंत्री, FBI से 36 करोड़ का इनाम

नए मंत्रिमंडल में अमेरिका नीत गठबंधन और अफगान सरकार के सहयोगियों के खिलाफ 20 साल तक चली जंग में दबदबा रखने वाली तालिबान (Taliban) की शीर्ष हस्तियों को शामिल किया गया है.

Updated on: 08 Sep 2021, 07:44 AM

highlights

  • एफबीई की मोस्ट वांटेड आतंकियों की सूची में है हक्कानी का नाम
  • काबुल में भारतीय दूतावास पर कराया था आतंकी आत्मघाती हमला
  • अमेरिका और भारत के लिए दुश्मन का मंत्री बनना चिंता की बात

नई दिल्ली:

अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान ने जिस नई सरकार के गठन का ऐलान किया है, वह अमेरिका (America) समेत भारत के लिए काफी चिंता की बात है. इस नए मंत्रिमंडल में अमेरिका नीत गठबंधन और अफगान सरकार के सहयोगियों के खिलाफ 20 साल तक चली जंग में दबदबा रखने वाली तालिबान (Taliban) की शीर्ष हस्तियों को शामिल किया गया है. यही नहीं, आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क के सरगना सिराजुद्दीन हक्कानी (Sirajuddin Haqqani) को गृह मंत्री बनाया गया है, जो भारत को अपना दुश्मन नंबर एक मानता है. और तो और, हक्कानी अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई (FBI) की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल है, जिसके सिर पर 5 मिलियन डॉलर यानी लगभग 36 करोड़ रुपए का इनाम है. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के पिट्ठू सिराजुद्दीन हक्कानी ने कई आतंकी हमले कराए हैं. 

चाहता था रक्षा मंत्री का पद
प्राप्ता जानकारी के मुताबिक सिराजुद्दीन हक्कानी तालिबान सरकार में रक्षा मंत्री बनने के लिए अड़ा हुआ था. इसको लेकर उसकी मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब और तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से झड़प भी हुई थी. हालांकि आईएसआई चीफ फैज हमीद और अन्य शीर्ष नेताओं के मान मनौव्वल के बाद हक्कानी नेटवर्क का सरगना गृहमंत्री पद के लिए राजी हुआ. यह अलग बात है कि इस वजह से मुल्ला बरादर को उप प्रधानमंत्री के पद से संतोष करना पड़ा है. जलालुद्दीन हक्कानी की मौत के बाद बेटा सिराजुद्दीन हक्कानी, हक्कानी नेटवर्क की कमान संभाले हुए है.

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आतंकी हमलों का पैरोकार रहा हक्कानी गुट
सामरिक विशेषज्ञों की मानें तो हक्कानी समूह पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर तालिबान की वित्तीय और सैन्य संपत्ति की देखरेख करता है. कुछ विशेषज्ञ तो यहां तक कहते हैं कि हक्कानी ही अफगानिस्तान में आत्मघाती हमलों का जिम्मेदार है. हक्कानी नेटवर्क को अफगानिस्तान में कई हाई-प्रोफाइल हमलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है. तत्कालीन अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई की हत्या का प्रयास भी इनमें से एक है. माना जाता है कि सिराजुद्दीन हक्कानी की उम्र 40 से 50 के बीच में है, जो अज्ञात ठिकाने से अपने नेटवर्क को संचालित करता है. यह वही आतंकी है जिसने 7 जुलाई 2008 को काबुल में भारतीय दूतावास पर आत्मघाती कार बम हमला करवाया था.

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हक्कानी का भाई काबुल का सुरक्षा प्रमुख
हक्कानी नेटवर्क में नंबर दो आतंकी अनस हक्कानी को काबुल का सुरक्षा प्रमुख बनाया है. 15 अगस्त के बाद अनस ने कई बार काबुल में पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और अब्दुल्ला-अब्दुल्ला से मुलाकात की है. अनस वही आतंकी है, जिसे अफगानिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार ने निर्दोष लोगों की हत्या के जुर्म में फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन तालिबान के साथ हुए समझौते के कारण उसे 2019 में दो अन्य कट्टर आतंकियों के साथ रिहा कर दिया गया था. हक्कानी नेटवर्क को खूंखार आतंकी और अमेरिका के खास रहे जलालुद्दीन हक्कानी ने स्थापित किया था. 1980 के दशक में सोवियत सेना के खिलाफ उत्तरी वजीरिस्तान के इलाके में इस संगठन ने काफी सफलता भी पाई थी. जलालुद्दीन हक्कानी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का भी खास रहा. आज भी हक्कानी नेटवर्क पर पाकिस्तान का बहुत ज्यादा प्रभाव है और इस वजह से भारत की चिंता बढ़ी हुई है.