logo-image

Sikkim Flood: भूकंप से है सिक्कम बाढ़ का कनेक्शन, ISRO ने किया बड़ा खुलासा

Sikkim Flood: सिक्किम में आई बाढ़ के पीछे बड़ी वजह हो सकता है नेपाल में आया भूकंप, इसरो के वैज्ञानिक जोड़ रहे हादसे के पीछे के तार.

Updated on: 05 Oct 2023, 01:48 PM

New Delhi:

Sikkim Flood: देश का पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम इन दिनों भारी बाढ़ का सामना कर रहा है. इस बाढ़ ने बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित किया है. हालांकि ये एक प्रकृतिक आपदा है, लेकिन इसका बड़ा कनेक्शन नेपाल में आए भूकंप से निकाला जा रहा है. दरअसल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र यानी ISRO के वैज्ञानिकों का मानना है कि नेपाल में आए भूंकप के झटकों ने ही सिक्किम में बाढ़ के हालात बनाए हैं. बता दें कि सिक्किम में अचानक आई बाढ़ से अबतक 14 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. जबकि 100 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं. 

क्यों आई सिक्किम में बाढ़ ?
इसरो के वैज्ञानिकों को शंका है कि नेपाल में आए भूकंप के कारण चुंगथांग के ऊपर बने दक्षिण ल्होनक ग्लेशियर की दीवारों पर सीधा असर पड़ा है. ये दीवारों भूकंप के झटकों से शायद कमजोर पड़ गईं. जो झील के टूटने की बड़ी वजह बन गई. ऐसे में तेज बहाव ने चुंगथांग बांध को पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया और सिक्किम बाढ़ की जद में आ गया. 

NRSC की तस्वीरों में भी बड़ा संकेत
सिक्किम में आई बाढ़ को लेकर वैज्ञानिक अपने-अपने स्तर पर वजह तलाशने में जुटे हैं. इस बीच  हैदराबाद के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर यानी NRSC की ओर से भी तस्वीरें जारी की गई हैं. इन तस्वीरों में दक्षिण ल्होनक झील के एरिया को कम होते देखा गया है. यानी झील का करीब 100 हेक्टेयर क्षेत्र कम हो गया है. लेकिन इससे पहले ली गई तस्वीरें जो 17 सितंबर 2023 को ली गई थीं. उसमें ये क्षेत्रफल करीब 100 हेक्टेयर अधिक था. 

2 साल पहले वैज्ञानिकों ने किया था आगाह
बता दें कि ल्होनक झील की दीवारों की कमजोरी को लेकर वैज्ञानिकों दो वर्ष पहले ही आगाह कर दिया था. वैज्ञानिकों का कहना था कि ये दीवारें काफी कमजोर हो चुकी हैं और कभी भी बड़े झटके में टूट जाएंगी. इस झील की कुल क्षेत्रफल 168 हेक्टेयर था जो टूटने के बाद 158 रह गया है. 

जांच कर रहा ISRO 
इसरो के वैज्ञानिकों का भी मानना है कि सिक्किम की बाढ़ का नेपाल भूकंप से सीधा कनेक्शन हो सकता है. हालांकि वैज्ञानिक फिलहाल जांच में जुटे हैं और पुख्ता वजह तलाश रहे हैं. इसरो की ओर से सैटेलाइट की तीन तस्वीरें भी साझा की गई हैं. 

हिमालयी क्षेत्रों में कम हो रहे ठंडे दिन
ग्लेशियरों के पिघलने की घटना ने सरकार की भी चिंता बढ़ा दी है. बीते कुछ वर्षों में लगातार हिमालयी क्षेत्रों में ठंडे दिनों की संख्या घट रही है. बीते 30 वर्षों में ठंडे दिनों में 2 से 6 फीसदी की कमी देखने को मिली है.