मथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद जमीन विवाद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्णय सुनाते हुए शाही ईदगाह ट्रस्ट और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की याचिकाओं को खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने सिविल जज के निर्णरू के विरुद्ध मथुरा के जिला जज को नए सिरे से सुनवाई का आदेश पारित करने का आदेश दिया है. अब सभी मुस्लिम पक्षकारों को मुथरा के जिला जज के सामने नए तरीके से अपनी दलील पेश करनी होगी.
हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए मामले को मथुरा के जिला जज को वापस कर दिया है. सिविल कोर्ट ने जिस सिविल सूट को खारिज कर दिया है, उसके खिलाफ श्रीकृष्ण विराजमान ने जिला जज के यहां पर रिवीजन अर्जी डाली थी. इसके साथ जिला जज ने सिविल कोर्ट के निर्णय को खारिज कर दिया था. इसके बाद सुनवाई का आदेश दिया था. इस आदेश को ईदगाह ट्रस्ट कमेटी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. अदालत ने दोनों पक्षों पर बहस के बाद 17 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
ये भी पढ़ें: Karnataka Election 2023: जेपी नड्डा ने जारी किया BJP Manifesto, जानें क्या हैं वादे और दावे
याचिका में 20 जुलाई 1973 के निर्णय को रद्द करने और 13.37 एकड़ कटरा केशव देव की जमीन को श्रीकृष्ण विराजमान के नाम ऐलान किए जाने की मांग है. जस्टिस प्रकाश पाडिया की सिंगल बेंच फैसला लिया है. गौरतलब है कि मथुरा का विवाद भी अयोध्या से मिलता जुलता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, 1670 में मथुरा में औरंगजेब ने भगवान केशवदेव के मंदिर को तोड़ने का आदेश दिया था. इसके बाद यहां पर मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद तैयार की गई.
HIGHLIGHTS
- जिला जज के सामने नए तरीके से अपनी दलील पेश करनी होगी
- मथुरा के जिला जज को वापस कर दिया है
- जिला जज के यहां पर रिवीजन अर्जी डाली थी