शिवसेना की धमकी, आरोप न मढ़े बीजेपी, अभी सीएम का गला बैठा है घर भी बैठ सकते हैं

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के ज़रिये चेतावनी दी है कि अगर बीजेपी शिवसेना के खिलाफ जहर उगलती रहेगी तो सीएम देवेंद्र फणनवीस को घर बैठना पड़ सकता है।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के ज़रिये चेतावनी दी है कि अगर बीजेपी शिवसेना के खिलाफ जहर उगलती रहेगी तो सीएम देवेंद्र फणनवीस को घर बैठना पड़ सकता है।

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pradeep tripathi
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शिवसेना की धमकी, आरोप न मढ़े बीजेपी, अभी सीएम का गला बैठा है घर भी बैठ सकते हैं

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के ज़रिये चेतावनी दी है कि अगर बीजेपी शिवसेना के खिलाफ जहर उगलती रहेगी तो सीएम देवेंद्र फणनवीस को घर बैठना पड़ सकता है। इसे शिवसेना की फणनवीस सरकार से समर्थन वापसी की धमकी भी माना जा रहा है।

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शनिवार को भाजपा रैली के दौरान फडणवीस द्वारा शिवसेना पर निशाना साधने के बाद सेना की ओर से यह बयान आया है।

शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा, "बीजेपी नेताओं द्वारा पिछले 28 वर्षों से राम मंदिर के निर्माण की बात कही जा रही है और समान नागरिक संहिता के नाम पर लोगों को धोखे में रखा जा रहा है। अब वे मुंबई को अमीर वर्ग के हाथ में सौंपने की योजना बना रहे हैं। यदि मुख्यमंत्री की ओर से शिवसेना के खिलाफ आधारहीन आरोप लगते रहे तो अभी उन्हें केवल गले की खराश के साथ छोड़ा गया है लेकिन आने वाले दिनों में उनके घर भेज दिया जाएगा।"

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शिवसेना ने बीजेपी से सवाल किया है कि अगर शिवसेना गुंडों की पार्टी है, तो बाबरी ढांचा गिराने के काम में जो कोठारी बंधु और अनेक कारसेवक शहीद हुए, क्या वे गुंडे थे? सामना ने ये भी पूछा है कि 1993 के दंगों में हिंदू मां-बहनों की इज्जत बचाने वाले शिवसैनिकों भी क्या गुंडा कहा जाएगा?

सेना ने आरोप लगाया, "उत्तर प्रदेश और गोवा जैसे राज्यों में फडणवीस की पार्टी ने अपराधियों व गुंडों के लिये खिड़की खोला है। महाराष्ट्र में भी ऐसे लोगों के प्रवेश के लिए बड़ा दरवाज़ा खोला हुआ है। पार्टी में प्रवेश के लिए आप अपने रेपिस्ट, हत्यारे, भ्रष्टाचारी होने का प्रमाण पत्र दिखाओ। उनके द्वारा यही पैकेज ऑफर किया जा रहा है।"

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पिछले कुछ महीनों से महाराष्ट्र सरकार के दोनों सहयोगी दल बीजेपी और शिवसेना के बीच कई मुद्दों पर मतभेद चल रहे हैं। जिसका नतीजा ये हुआ है कि 25 साल से महाराष्ट्र और केंद्र में सहयोगी रहे दोनों दल निकाय चुनावों के दौरान अलग हो गए हैं और अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। महाराष्ट्र चुनाव में भी दोनों ने अलग चुनाव लड़ा था।

शिवसेना केंद्र में सहयोगी दल और मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले का भी शिवसेना विरोध करती रही है।

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Source : News Nation Bureau

Devendra fadnavis ShivSena
      
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