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राज्यपाल से मिले संजय राउत, बोले- सत्ता का गठन नहीं हो रहा है, इसके लिए शिवसेना जिम्मेदार नहीं

शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा जो सबसे लार्जेस्ट पार्टी है, उन्हें सरकार बनाने के लिए बुलाना चाहिए

Updated on: 04 Nov 2019, 06:20 PM

मुंबई:

शिवसेना नेता संजय राउत और रामदास कदम ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी के साथ मुलाकात की. मीटिंग के बाद उन्होंने कहा कि हमारी भेंट सदिच्छा थी. जो सबसे लार्जेस्ट पार्टी है, उन्हें सरकार बनाने के लिए बुलाना चाहिए. यह हमने मांग की है. सत्ता का गठन नहीं हो रहा है, इसके लिए शिवसेना जिम्मेदार नहीं हैं. महाराष्‍ट्र में मुख्‍यमंत्री को लेकर बीजेपी (BJP) और शिवसेना (Shiv Sena) में खींचतान जारी है. यह मामला अब रुकने का नाम नहीं ले रहा है.

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बीजेपी (BJP) और शिवसेना (Shiv Sena) का गठबंधन करीब 30 साल पुराना है. यह 1989 में शुरू हुआ था. 1995 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी (BJP) के साथ गठबंधन कर शानदार सफलता हासिल की. जब शिवसेना (Shiv Sena) भाजपा के गठबंधन में पहली बार महाराष्ट्र में सरकार बनी उस वक्त शिवसेना (Shiv Sena) के मनोहर जोशी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था. शिवसेना (Shiv Sena) के संस्‍थापक बाला साहेब ठाकरे और बीजेपी (BJP) के बीच रिश्‍तों में कभी दरार नहीं आई.

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दोनों दलों के रिश्‍तों के बीच सीएम की कुर्सी ने दरार डाल दी है. महाराष्‍ट्र का पॉलिटिकल ड्रामा अभी तक चल रहा है. वहीं संजय राउत ने कहा कि सरकार का गठन नहीं हो रहा है, इसके लिए शिवसेना जिम्मेदार नहीं है. वहीं संजय राउत ने कहा कि हमारी यह भेंट सदिच्छा थी. महाराष्‍ट्र में लगता है कि शिवसेना और एनसीपी की पार्टी के बीच खिंचड़ी पक गई है. दोनों दलों के नेताओं ने जो संकेत दिए हैं, उससे तो यही अनुमान निकलता है कि दोनों दल एक साथ आने को राजी हो गए हैं.

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बीजेपी के खिलाफ लगातार भड़काऊ बयान दे रहे शिवसेना के वरिष्‍ठ नेता संजय राउत ने दावा किया है कि उनके पास बहुमत का आंकड़ा है. संजय राउत ने कहा, हमारे पास अभी 170 विधायक हैं और यह संख्‍या 175 तक जा सकती है. दूसरी ओर, एनसीपी नेता नवाब मलिक ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा है कि शिवसेना अगर एनडीए से नाता तोड़ दे तो हम उसे समर्थन देने पर विचार कर सकते हैं. हालिया संपन्‍न हुए विधानसभा चुनावों में शिवसेना के 56, कांग्रेस के 44 और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के 54 विधायक जीतकर आए हैं. निर्दलीय विधायकों की संख्या महाराष्‍ट्र में एक दर्जन से अधिक है. अगर ये सभी एक साथ आते हैं तो आंकड़ा 170 के करीब पहुंचता है.